National Sports Governance Bill 2025: राष्ट्रीय खेल प्रशासन बिल 2025 संसद के दोनों सदनों में पारित हो गया है और बिल को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास भेज दिया गया है। बिल को गत 23 जुलाई को केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने पेश किया था, जिसे चर्चा के बाद 11 अगस्त को लोकसभा में और 13 अगस्त को राज्यसभा में बहुमत से पारित कर दिया गया।
केंद्रीय खेल मंत्री ने बिल को स्पोर्ट्स सेक्टर में सुधार के लिए सबसे बड़ा कदम बताया है। भारत सरकार का इस बिल को पास करने का उद्देश्य भारतीय खेल प्रशासन को मॉडर्न, ट्रांसपेरेंट, जवाबदेह और प्लेयर फोक्सड बनाना है। यह बिल साल 2011 की राष्ट्रीय खेल विकास संहिता को रिप्लेस करेगा और इसे कानूनी तरीके से कंट्रोल करेगा। इससे संहिता के प्रावधान और नियम कड़े होंगे।
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बिल से BBCI के लिए क्या बदलेगा?
बता दें कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) अब तक स्वतंत्रता होने का दावा करता था, लेकिन नए बिल के लागू होते ही नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन (NSB) की निगरानी में आ जाएगा। BCCI को सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के दायरे में भी लाया जाएगा, जिससे इसके फैसले और वित्तीय लेन-देन ट्रांसपेरेंट रहेंगे। ऐसे में BCCI को NSB के नियमों का पालन करना होगा, जिससे इसकी स्वतंत्रता पर कुछ हद तक प्रभाव पड़ सकता है।
वहीं बिल के लागू होने के बाद BCCI एक तरह से NSB बन जाएंगा। साल 2019 तक BCCI को नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन के रूप में मान्यता नहीं मिली थी, लेकिन साल 2020 में BCCI को सूचना का अधिकार अधिनियम के दायरे में लाया गया था। वहीं अब BCCI को खेल मंत्रालय के सभी आदेशों का पालन करना होगा, हालांकि BCCI के पास कुछ फैसले लेने का अधिकार होगा, जिसमें सरकार हस्तक्षेप नहीं करेगी।
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राष्ट्रीय खेल महासंघों की वर्किंग बदलेगी
राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSFs) में कम से कम 10% सदस्य मशहूर खिलाड़ी होंगे और कार्यकारी समितियों में कम से कम 25% पूर्व खिलाड़ी सदस्य बनाए जाएंगे। कार्यकारी समितियों में जेंडर बैलेंस सुनिश्चित करने के लिए कम से कम 4 महिलाओं को भी सदस्य बनाया जाएगा।
महासंघ के प्रमुखों और पदाधिकारियों के लिए कार्यकाल की सीमा निर्धारित की जाएगी। अब सदस्य अधिकतम 12 वर्ष तक मेंबर रहेंगे, जिसमें 3 साल का लगातार कार्यकाल और ब्रेक-ऑफ अवधि शामिल है। प्रशासकों की आयु सीमा 70 से बढ़ाकर 75 वर्ष हो जाएगी, जिससे BCCI के अध्यक्ष रोजर बिन्नी को फायदा हो सकता है।
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क्या है बिल का उद्देश्य और प्रावधान?
राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) की स्थापना करना, ताकि सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSFs) को मान्यता दी जा सके। बोर्ड के अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार करेगी। बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्य खेल, प्रशासन, कानून या संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञ होंगे। NSB खेल महासंघों को फंडिंग करने के साथ-साथ उनकी निगरानी करेगी और अनुशासनात्मक मामलों में निर्देश भी देगा।
खिलाड़ियों और महासंघों के बीच सेलेक्शन, डिसिप्लिन या चुनावी अनियमितताएं से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा, जिसके पास सिविल कोर्ट जैसी शक्तियां होंगी। इस ट्रिब्यूनल के फैसलों को केवल सुप्रीम कोर्ट में ही चुनौती दी जा सकेगी। ट्रिब्यूनल FIFA और कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) जैसे मॉडल से प्रेरित होकर बनाया जाएगा।
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सभी मान्यता प्राप्त खेल निकायों को सूचना के अधिकारी (RTI) के दायरे में लाया जाएगा। बिल लागू होने के बाद POSH अधिनियम 2013 के अनुसार महिलाओं और नाबालिग खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए, उनके उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ नीतियां लागू की जाएंगी। नेशनल स्पोर्ट्स इलेक्शन पैनल के जरिए खेल महासंघों में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित किए जाएंगे।
नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल 2025 बिल भारत की साल 2036 के ओलंपिक गेम्स की मेजबानी के लिए बोली को मजबूत करने के लिए बनाया गया है, जो अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) और अन्य वैश्विक मानकों के अनुसार होगी। यह बिल खिलाड़ियों पर फोक्सड रहेगा। खेलों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करेगा।