Nalanda University History : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के दूसरे सबसे पुराने विश्वविद्यालय नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस का उद्घाटन कर दिया है। 5वीं सदी में बनी इस यूनिवर्सिटी का अपना इतिहास रहा है। इस यूनिवर्सिटी की दीवारें इतनी चौड़ी हैं कि इन पर ट्रक चल सकता है। करीब 1600 साल पुरानी इस यूनिवर्सिटी का अभी सिर्फ 10 फीसदी हिस्सा ही खुदाई में मिला है। 90 फीसदी अभी भी जमीन के नीचे दबा है। नालंदा शब्द संस्कृत के तीन शब्दों (ना+आलम+दा) से मिलकर बना है। इसका अर्थ है ‘ज्ञान रूपी उपहार पर कोई प्रतिबंध न रखना’। पटना से करीब 90 किलोमीटर दूर इस यूनिवर्सिटी के खंडहर स्थित हैं।
दुनियाभर के छात्र आते थे पढ़ने
इस यूनिवर्सिटी की नींव 5वीं सदी गुप्त राजवंश के कुमार गुप्त प्रथम ने रखी थी। शुरू में इसमें करीब 10 हजार छात्र पढ़ते थे। इन्हें शिक्षा देने के लिए यहां 1500 टीचर होते थे। यहां दुनिया के कई देशों के स्टूडेंट पढ़ने के लिए आते थे। इस यूनिवर्सिटी में छात्रों को इतिहास, मैथ्स, लिटरेचर, साइकोलॉजी, इकोनॉमिक, लॉ, एस्ट्रोलॉजी, एस्ट्रोनॉमी, साइंस, आर्किटेक्टर, लैंग्वेज साइंस, मेडिसिन आदि सब्जेक्ट पढ़ाए जाते थे।
Today, we are inaugurating the new campus of Nalanda University. It is a reiteration of our commitment to encourage learning, research and innovation. It is also an effort to draw the best scholars from the world to come and pursue their education in our country. pic.twitter.com/MuwKNs6m0Z
— Narendra Modi (@narendramodi) June 19, 2024
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कई विद्वानों ने ली शिक्षा
इस यूनिवर्सिटी को बौद्ध विश्वविद्यालय के रूप में भी जाना जाता है। यहां से कई विद्वान पढ़कर निकले हैं। कहा जाता है कि चीनी भिक्षु ह्वेनसांग से भी 7वीं सदी में इसी यूनिवर्सिटी से शिक्षा ली थी। इसके अलावा यहां से हर्षवर्धन, धर्मपाल, वसुबन्धु, धर्मकीर्ति, आर्यवेद, नागार्जुन ने भी शिक्षा ली है।
Visiting the excavated remains of Nalanda was exemplary. It was an opportunity to be at one of the greatest seats of learning in the ancient world. This site offers a profound glimpse into the scholarly past that once thrived here. Nalanda has created an intellectual spirit that… pic.twitter.com/UAKCZZqXn4
— Narendra Modi (@narendramodi) June 19, 2024
खिलजी ने लगा दी थी आग
साल 1193 में बख्तियार खिलजी ने इस यूनिवर्सिटी पर आक्रमण कर इसे बर्बाद कर दिया था। इस दौरान यहां आग भी लगा दी गई थी। कहा जाता है कि उस समय इस यूनिवर्सिटी में इतनी किताबें थीं कि यह आग कई हफ्ते तक लगी रही थी। इस आक्रमण के दौरान यहां काम करने वाले कई धर्माचार्य और बौद्ध भिक्षुओं को भी मार डाला गया था।
क्या है नए कैंपस में?
प्रधानमंत्री ने आज जिस नए कैंपस का उद्घाटन किया है, वह वहीं बना है जहां नालंदा के प्राचीन खंडहर हैं। इसकी खासियतें इस प्रकार हैं:
- इसमें दो अकेडमिक ब्लॉक हैं। दोनों ब्लॉक में कुल 40 क्लारूम बने हैं। इनमें 1900 स्टूडेंट एक साथ बैठ सकते हैं।
- साथ ही यहां दो ऑडिटोरियम भी बने हैं। इनमें कुल 300 लोगों के बैठने की व्यवस्था है।
- यहां इंटरनेशनल सेंटर और एम्फीथिएटर भी है। यहां करीब 2000 लोग बैठ सकते हैं।
- इस कैंपस में पर्यावरण का भी ध्यान रखा गया है। इसके लिए यहां पानी को रीसाइकल करने के लिए प्लांट लगाया गया है।
- नालंदा यूनिवर्सिटी में भारत के अलावा 17 देशों की भी भागीदारी है। इनमें चीन, म्यांमार, न्यूजीलैंड, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया आदि प्रमुख हैं। विदेशी छात्रों के लिए यहां 137 स्कॉलरशिप रखी गई हैं।
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