Muslim Woman Wants To Follow Secular Property Law: क्या मुस्लिम परिवार में जन्म लेने वाला व्यक्ति सेक्युलर प्रॉपर्टी लॉ के अधीन आ सकता है? मंगलवार को ये सवाल देश की शीर्ष अदालत में उठा। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक महिला ने याचिका दायर की है। याचिका में महिला ने कहा कि वह मुस्लिम है लेकिन वह और उसका परिवार नास्तिक है। याचिका में आगे बताया गया कि शरिया लॉ के तहत माता-पिता चाह कर भी अपनी एक तिहाई से अधिक संपत्ति अपनी बेटी को नहीं दे सकते हैं।
ऐसे में महिला ने अदालत से आग्रह किया कि संपत्ति के मामले में उसे भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के दिशा-निर्देशों के अनुसार संपत्ति का बंटवारा करने की अनुमति प्रदान की जाए। बता दें कि शरिया कानून के अनुसार अगर माता-पिता की संपत्ति का बंटवारा होता है, तो बेटे को बेटी के हिस्से से दोगुना मिलता है।
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Amid a nationwide debate on a Uniform Civil Code, the Supreme Court has asked the Centre if a person born in a Muslim family can follow secular laws in matt…
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5 मई को केंद्र सरकार बताएगी अपना पक्ष
जानकारी के अनुसार वर्तमान में भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम मुसलमानों पर लागू नहीं होता। पेश मामले में याचिकाकर्ता साफिया ने इसी बात को चुनौती दी है। मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 5 मई 2025 को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब, कौन सा नियम होगा लागू
अदालत ने केंद्र सरकार के वकील को कहा कि वह अपने जवाब में बताए कि क्या कोई मुस्लिम संपत्ति के मामले में धर्मनिरपेक्ष कानून का पालन कर सकता है? या वह मुस्लिम पर्सनल लॉ शरिया का ही पालन करने के लिए बाध्य है।
महिला बोली मैं नास्तिक… बेटी को देना चाहती हूं संपत्ति
याचिका में महिला ने कहा कि चूंकि वह नास्तिक है ऐसे में वह और उसके पति मुस्लिम नहीं हैं। उसका बेटा गंभीर बीमारी से पीड़ित है और उसकी बेटी ही उसके और उसके पति का ख्याल रखती है। इसलिए उन्हें भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के दिशा-निर्देशों के अनुसार संपत्ति का बंटवारा करने की अनुमति दी जानी चाहिए, वह अपनी संपत्ति बेटी को देना चाहती हैं।
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