भारत में गर्मी की तपन के बीच लोगों को राहत की खुशखबरी मिल गई है। इस बार मानसून ने केरल में समय से पहले दस्तक दी है, जिससे किसानों और आम लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है। आमतौर पर मानसून 1 जून के आसपास आता है, लेकिन इस बार मई में ही बारिश ने दस्तक दे दी है। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस साल मानसून सामान्य रहेगा और समय पर देश के अन्य हिस्सों में भी पहुंचेगा।
2009 के बाद सबसे जल्दी पहुंचा मानसून
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने शनिवार सुबह घोषणा की कि इस साल मानसून केरल में समय से पहले पहुंच गया है। आमतौर पर मानसून का आगमन 1 जून के आसपास होता है, लेकिन इस बार यह जल्दी आ गया है। IMD के अनुसार, यह 2009 के बाद सबसे जल्दी मानसून का आगमन है, जब 23 मई को मानसून केरल पहुंचा था। इस बार भी लगभग इसी तारीख को मानसून पहुंचा है। इस समय अरब सागर के पूर्वी-मध्य क्षेत्र में, दक्षिण कोंकण तट के पास एक कम दबाव ( low pressure) का क्षेत्र बन गया है।
दबाव क्षेत्र के कारण तेज हुई बारिश
मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, एक दबाव वाला क्षेत्र अब पूर्व की ओर बढ़ रहा है और यह रत्नागिरी और दापोली के बीच दक्षिण कोंकण के तट से गुजर सकता है। इसकी वजह से केरल और आसपास के इलाकों में बारिश बढ़ गई है। यह दबाव क्षेत्र अरब सागर में बने एक मौसम सिस्टम की वजह से बना है। ऐसे दबाव वाले क्षेत्र आमतौर पर मानसून को जल्दी और तेज करने में मदद करते हैं।
So #Monsoon2025 has officially arrived over the Indian coast with extremely #HeavyRains for #Kerala, Tamil Nadu, Karnataka & adjoining states.
---विज्ञापन---This also marks its earliest arrival in 16 years. The last time it arrived this early was in 2009, when it hit the coast on 23rd May.⬇️ pic.twitter.com/X5vhlMhfcw
— Srishti Choudhary (@Srish__T) May 24, 2025
IMD के नियमों से होती है मानसून की घोषणा
IMD यानी मौसम विभाग के पास मानसून के आने की पुष्टि करने के लिए कुछ खास नियम होते हैं। अगर 10 मई के बाद मिनिकॉय, अमिनी, तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, कोच्चि, कन्नूर और मंगलुरु जैसे 14 में से कम से कम 60% जगहों पर लगातार दो दिन तक 2.5 मिमी या उससे ज्यादा बारिश होती है, हवाएं दक्षिण-पश्चिम दिशा से चलती हैं और आसमान में बादल ज्यादा होते हैं, तो माना जाता है कि मानसून केरल पहुंच गया है।
‘हीट लो’ के बिना भी समय से पहले आया मानसून
इस साल उत्तर-पश्चिम भारत में अभी तक गर्मी के कारण बना कम दबाव वाला क्षेत्र नहीं बना है, जिसे ‘हीट लो’ कहा जाता है। यह सिस्टम आमतौर पर मानसून को खींचने में मदद करता है। लेकिन इसके बिना भी मौसम विभाग (IMD) और कुछ वैज्ञानिकों ने पहले ही अंदाजा लगा लिया था कि इस बार मानसून जल्दी आ सकता है और ऐसा ही हुआ। अब उम्मीद है कि मानसून जल्दी ही देश के दूसरे हिस्सों में भी पहुंचेगा, जिससे किसानों को काफी राहत मिलेगी।