कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार के जातिगत जनगणना के फैसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने पहलगाम के आतंकी हमले के आक्रोश के बीच जातिगत जनगणना के फैसले पर पीएम मोदी को तीन महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। मल्लिकार्जुन खरगे ने 2 मई को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद पीएम मोदी को यह पत्र लिखा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने मल्लिकार्जुन खरगे के इस पत्र को अपने X पर पोस्ट किया है।
Following the CWC meeting on May 2nd, the Congress President Shri Mallikarjun @kharge ji wrote to the PM last night on Mr. Modi’s sudden and desperate U-turn on the caste census – even as the nation’s anguish and anger at the brutal Pahalgam terror attacks continued unabated.… pic.twitter.com/1wIgUXFqk6
---विज्ञापन---— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) May 6, 2025
खरगे ने पत्र में क्या लिखा?
इस पत्र में मल्लिकार्जुन खरगे ने लिखा कि कांग्रेस द्वारा 16 अप्रैल 2023 को पत्र लिखकर पीएम मोदी से जातिगत जनगणना कराने की मांग की गई थी। लेकिन उस पत्र का कांग्रेस को कोई जवाब नहीं मिला। इतना ही नहीं, आपकी पार्टी और खुद आपने इस जायज मांग को उठाने के लिए कांग्रेस पार्टी पर लगातार हमले किए। अब आप खुद जातिगत जनगणना की मांग को स्वीकार करते हुए मान रहे हैं कि यह मांग गहन सामाजिक न्याय और सामाजिक सशक्तिकरण के हित में है। इसके साथ ही मल्लिकार्जुन खरगे ने जातिगत जनगणना को लेकर कांग्रेस पार्टी की तरफ से 3 महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।
Congress President Mallikarjun Kharge writes to PM Modi, suggesting three points to be considered regarding the caste census.
“I wrote to you on 16 April 2023 and placed before you the demand of the Indian National Congress to conduct a caste census. Unfortunately, I did not… pic.twitter.com/n6hAgv4UEV
— ANI (@ANI) May 6, 2025
मल्लिकार्जुन खरगे के 3 महत्वपूर्ण सुझाव:-
- जनगणना से जुड़े प्रश्नावली का डिजाइन खास होना चाहिए। इसमें पूछे जाने वाले सवालों के लिए तेलंगाना मॉडल का उपयोग करना चाहिए।
- सभी राज्यों द्वारा पारित आरक्षण संबंधी अधिनियमों को संविधान की नई सूची में शामिल किया जाना चाहिए। इससे जनगणना के नतीजे साफ और स्पष्ट होंगे।
- कांग्रेस का मानना है कि जाति जनगणना जैसी किसी प्रक्रिया को विभाजनकारी नहीं माना जाना चाहिए। क्योंकि पिछड़ों, वंचितों और हाशिये पर खड़े लोगों को उनके अधिकार दिलाने का जरिया बनता है।
मल्लिकार्जुन खरगे के सुझावों के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए X पोस्ट में शेयर किए गए उनके पत्र को पढ़ सकते हैं।