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हाईटेक हुआ आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, IT सेल के जरिए युवाओं को कर रहा गुमराह

पाकिस्तानी आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर के युवाओं को एक बार फिर सोशल मीडिया के जरिए गुमराह करने की नई साजिश रच रहे हैं. इससे पहले भी मोबाइल फोन के कुछ ऐप्स से (सोशल मीडिया) के जरिए युवाओं को बरगलाया जाता था अब वैसे ही फिर से साजिश शुरू करने के लिए नया IT सेल तैयार किया गया जिसका Exclusive वीडियो न्यूज 24 के पास मौजूद हैं.

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Versha Singh Updated: Nov 27, 2025 22:53

पाकिस्तानी आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर के युवाओं को एक बार फिर सोशल मीडिया के जरिए गुमराह करने की नई साजिश रच रहे हैं. इससे पहले भी मोबाइल फोन के कुछ ऐप्स से (सोशल मीडिया) के जरिए युवाओं को बरगलाया जाता था अब वैसे ही फिर से साजिश शुरू करने के लिए नया IT सेल तैयार किया गया जिसका Exclusive वीडियो न्यूज 24 के पास मौजूद हैं.

सूत्रों के मुताबिक, आतंकियों द्वारा युवाओं को तेजी से रेडिकलाइज किया जा रहा है. उनके दिमाग में नफरत, कट्टरपंथ और हिंसा का जहर भरा जा रहा है.

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सबसे चौंकाने वाली जानकारी यह है कि ‘लश्कर-ए-तैयबा’ ने करीब 80 कंप्यूटरों वाला एक ‘आईटी सेल’ तैयार किया है. यह कोई विकास या आधुनिकीकरण नहीं बल्कि आतंकवाद का डिजिटलीकरण है. ऑफलाइन बंदूकें और ऑनलाइन कट्टरपंथ… यही नया मॉडल अपनाया जा रहा है.

इस आईटी सेल का काम है फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाना, युवाओं को टारगेट करना, व्हाट्सऐप-टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर गुमराह करने वाली सामग्री भेजना, और धीरे-धीरे उन्हें आतंकी विचारधारा की ओर मोड़ना.

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लश्कर-ए-तैयबा के नंबर दो आतंकी, पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड सैफुल्लाह कसूरी का नाम भी इसमें सामने आया है.

कसूरी सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को आतंकी गतिविधियों में शामिल करने की साजिश रच रहा है और कई बार भारत को धमकी भी दे चुका है. बता दें कि यह वही संगठन हैं जिन्होंने 1990 में राजौरी, पुंछ और डोडा किश्तवाड़ जैसे पहाड़ी जिलों के नौजवानों को सीमा पार कर उनसे मिलकर बरगलाया पहले OGW फिर आतंकी बनाया जिनमे कई आतंकी पाकिस्तान में ही बस गए. आज OGW की संख्या बढ़ाने से लेकर युवाओं को आतंक की राह पर ले जाने का काम सोशल मीडिया के जरिए और भी आसान हो गया हैं, जो एक बड़ी चिंता का विषय भी सुरक्षा एजेंसियों के लिए बनता जा रहा हैं.

सुरक्षा एजेंसियों ने चेतावनी जारी की है कि यह डिजिटल रेडिकलाइजेशन आने वाले समय में सबसे बड़ा खतरा बन सकता है. एजेंसियां लगातार ऐसे ऑनलाइन नेटवर्कों की पहचान, लोकेशन ट्रैकिंग और ऑपरेशन को रोकने में जुटी हुई हैं.

First published on: Nov 27, 2025 10:53 PM

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