Sengol: इस समय पूरे देश में नए संसद भवन और उसके उद्घाटन को लेकर बहुत चर्चा हो रही है। नए संसद भवन में राजदंड (Sengol) को भी स्पीकर की सीट के पास स्थापित किया जाएगा। इस संबंध में देश के गृहमंत्री अमित शाह ने भी सेंगोल को देश की समृद्ध सभ्यता का प्रतीक बताते हुए एक ट्वीट किया था। परन्तु क्या आप जानते हैं कि सेंगोल वास्तव में क्या है?
The ‘Sengol’, represents the values of fair and equitable governance.
---विज्ञापन---It will shine near the Lok Sabha Speaker's podium as a national symbol of the Amrit Kaal, an era that will witness the new India taking its rightful place in the world.#SengolAtNewParliament pic.twitter.com/4BCMkLZ3fm
— Amit Shah (Modi Ka Parivar) (@AmitShah) May 24, 2023
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क्या होता है Sengol?
प्राचीन भारत में राजा अपने साथ में एक प्रतीकात्मक छड़ी रखते थे। इसे राजदंड कहा जाता है। यह जिसके पास भी होती थी, पूरे राज्य का वास्तविक शासन उसी के आदेशों से चलता था। इसीलिए इसे राजदंड कहा जाता था। धार्मिक गुरु भी इसे धारण करते थे। वर्तमान में भी इसे अधिकतम धर्मगुरु धारण करते हैं। हिंदू धर्म के चारों प्रमुख शंकराचार्यों सहित ईसाई धर्म के प्रमुख पोप भी ऐसे ही एक राजदंड को साथ रखते हैं जो उनकी शक्ति और उनकी सत्ता का प्रतीक है। भारतीय शास्त्रों के अनुसार इसे राजा-महाराजा सिंहासन पर बैठते समय धारण करते थे।
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नए संसद भवन में रखा जाने वाले सेंगोल की कहानी वास्तव में भारत की आजादी और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से जु़ड़ी हुई है। वर्ष 1947 में जब भारत को आजादी दी जा रही थी जो उस समय ब्रिटेन द्वारा भारतीय नेताओं को सत्ता के हस्तांतरण के रुप में एक राजदंड (Sengol) तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू को दिया गया। यह चोल वंश के समय का माना जाता है। बाद में इसे प्रयागराज म्यूजियम में रख दिया गया। अब पीएम मोदी ने इसे एक बार फिर संसद में स्पीकर की बेंच के पास स्थापित करने का निर्णय किया है।
क्या खास है इस सेंगोल में
यह पूरी तरह से प्राचीन भारत के गौरव को दिखाता है। इसके शीर्ष पर भगवान शिव के वाहन नंदी को बनाया गया है जो न्याय और कर्म को दर्शाता है। नंदी से कुछ नीचे की ओर दो झंडे बनाए गए हैं। इस प्रकार यह भारत की महान विरासत का अद्भुत प्रतीक है जो भारत की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं और इच्छाशक्ति को दिखाता है।
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