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अपने तिरंगे को कितना जानते हैं आप? 30 देशों की रिसर्च के बाद डिजाइन हुआ था झंडा

इतना तो आप जानते हैं कि भारत के राष्ट्रीय को 'तिरंगा' कहते हैं। यह 15 अगस्त को लाल किला और 26 जनवरी को इंडिया गेट पर फहराया जाता है। लेकिन तिरंगा कैसे तिरंगा बना, किसने बनाया, पहले तिरंगा कैसा था और बनने के बाद भारत ने पहली बार तिरंगे को कब अपनाया था। आइए विस्तार से समझते हैं।

Author Written By: Raghav Tiwari Author Edited By : Raghav Tiwari Updated: Aug 10, 2025 15:30
tiranga ka itihas
tiranga ka itihas.

79th Independence Day: भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में 3 रंग की क्षैतिज पट्टियों के बीच नीले रंग के एक 24 तीलियों का चक्र बना होता है। सबसे ऊपर केसरिया रंग की पट्टी जो देश की ताकत और साहस को दर्शाती है, बीच में सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य को ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी देश के शुभ, विकास और उर्वरता को दर्शाती है। ध्वज की लम्बाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 होता है। राष्ट्रीय झंडा मानक के अनुसार खादी से ही बना होना चाहिए। भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा की डिजाइन करने का सबसे ज्यादा श्रेय आंध्रप्रदेश के पिंगली वेंकैया को दिया जाता है। पिंगली कृषि वैज्ञानिक थे। साथ में देश के लिए गतिविधियों में सक्रिय रहते थे। भारत का तिरंगा 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान-सभा की बैठक में अपनाया गया था।

1906 से शुरू हुआ राष्ट्रीय ध्वज का सफर

सबसे पहले 1906 में स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता ने राष्ट्रीय ध्वज बनाया था। 7 अगस्त 1906 में कांग्रेस के अधिवेशन में कलकत्ता में पहली बार ध्वज फहराया गया था। इस ध्वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियां थीं। ऊपर हरी पट्टी में 8 कमल और नीचे लाल पट्टी में सूरज और चांद था। बीच की पीली पट्टी पर वन्देमातरम् लिखा था। 1907 में ध्वज की ऊपरी पट्टी में बदलाव हुआ। कमल की जगह 7 तारे बनाए गए। ये सप्तऋषियों को दर्शाते थे। यह ध्वज बर्लिन में हुए समाजवादी सम्मेलन में भी दिखाया गया।

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1917 में बड़ा बदलाव

राजनीति संघर्षों के कारण साल 1917 में डॉ. एनी बीसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान तीसरा ध्वज फहराया। इसमें 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक रखीं गईं। सप्तऋषि के अभिविन्यास में इस पर 7 सितारे बने थे। ध्वज के ऊपरी किनारे पर बायीं ओर यूनियन जैक था। एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था। इसके बाद 1931 में तीनों रंगों की पट्टियों का स्थान बदलकर चरखा बीच में लाया गया। बाद में जालंधर के हंसराज की सुझाव पर झंडे में चरखे की जगह चक्र को जगह मिली।

पिंगली ने 30 देशों पर की थी रिसर्च

एक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान वेंकैया पिंगली ने भारत का खुद का राष्ट्रीय ध्वज होने की जरूरत बताई। महात्मा गांधी को यह विचार काफी पसंद आया। गांधी जी ने वेंकैया को राष्ट्रीय ध्वज का ड्राफ्ट तैयार करने को कहा। इसके लिए पिंगली ने 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वजों की रिसर्च की। इसमें उन्हें 5 साल का समय लगा था। यह लाल और हरा 2 रंगों का बना था। दोनों रंग हिन्दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करते थे। गांधी के कहने पर ध्वज में 1 सफेद पट्टी और राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए चरखा लगाया गया।

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आजादी से पहला अपनाया गया तिरंगा

रिसर्च के बाद साल 1921 में विजयवाड़ा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में वैंकया पिंगली ने झंडा दिखाया। यह लाल और हरे रंग से बना था। कांग्रेस के सभी अधिवेशन में यह झंड़ा प्रयोग किया जाने लगा। हालांकि उस समय कांग्रेस ने उस झंड़े को आधिकारिक रूप से स्वीकृति नहीं दी थी। जालंधर के हंसराज ने झंडे में चक्र चिन्ह बनाने का सुझाव दिया। इस चक्र को प्रगति और आम आदमी के प्रतीक के रूप में माना गया। संविधान सभा ने 22 जुलाई को 1947 को तिरंगा को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया था। 15 अगस्त को स्वतंत्रता मिलने के बाद इसके रंग और उनका महत्व बना रहा।

First published on: Aug 08, 2025 04:02 PM

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