Kishtwar Cloudburst: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में 14 अगस्त को आई आपदा ने कई लोगों की जिंदगी निगल ली। जो जिंदा बचे वो अभी भी हादसे को याद करके सहम जाते हैं। अभी भी वहां लोग फंसे हैं, जिन्हें रेस्क्यू किया जा रहा है। इसी बीच पीड़ितों की कुछ ऐसी आपबीती आई, जिसे सुनकर लोगों की रुह कांप गई।
बता दें कि चशोती गांव में मचैल माता मंदिर के पास आपदा आई थी। बादल फटने से कुछ ही मिनट में पूरा इलाका जलमग्न हो गया था। आपदा में करीब 50 लोगों की मौत हो चुकी हैं, वहीं 100 के करीब लोग लापता बताए जा रहे हैं।
‘बच्चा बचा पाया तो पत्नी हो गई गुम’
पीड़ित राकेश शर्मा ने बताया कि हमने लंगर में प्रसाद खाया। हम सड़क पार करने ही वाले थे कि अचानक शोर हुआ। हमने मलबा गिरते देखा। जब सब लोग ‘भागो भागो’ चिल्लाने लगे, तो हमने भागने की कोशिश की। बच्चा गिर गया, जैसे ही मैंने उसे उठाया, मलबा मुझ पर आ गया। मैं दब गया। मुझे थोड़ी देर बाद होश आया। बच्चा मेरे पास थे लेकिन पत्नी नहीं मिल रही थी। राकेश ने कहा मैंने बहुत ढूंढा, माता से भीख मांगी। लेकिन वहां पत्नी नहीं मिली। जब हताश होकर राकेश नीचे आए तो पत्नी मिली। राकेश ने दावा कि मलबे में कम से कम 60-70 लोग अभी भी दबे हो सकते हैं।
पति, बच्चे समेत परिवार के 12 लोग अभी तक गुम
आपदा की पीड़िता पुतुल ने कहा कि हम 14 लोग आए थे। माता की यात्रा से हम 4 लोग लौट आए थे, बाकी लोग पीछे थे। कुछ समझ नहीं आया, कुछ ही सेकंड में पूरा पहाड़ सामने आ गया। हर जगह अफरा-तफरी मच गई। पति, बच्चे अभी तक गुम हैं। हॉस्पिटल में भी कोई नहीं मिल रहा। मैं लगातार ढूंढ रही हूं। महिला ने बताया कि अभी हम केवल 2 लोग ही एक साथ हैं।
हर जगह बस डेड बॉडी ही बॉडी
आपदा में एक पीड़िता ने बताया भावुक होकर बताया कि कई लोगों के पास छोटे-छोटे बच्चे थे। आपदा के बाद वो मलबे में फंस गए। कई बच्चों की गर्दन मुड़ गई तो कई बच्चों के पैर कट गए। आगे-पीछे बस हर जगह डेड बॉडी ही डेड बॉडी थी। कहा कि मेरे पापा ने कई बच्चों को बचाने की कोशिश की। कई बच्चे मौके पर ही मर गए। कुछ सेकंड के अंदर ही नीचे मलबा आ गया। जिसमें बड़े-बड़े पेड़ भी थे बड़े-बड़े पत्थर भी थे