कर्नाटक में सरकारी टेंडर में 4 फीसदी मुस्लिम आरक्षण को लेकर बवाल मचा हुआ है। यह मामला अब संसद तक भी पहुंच चुका है। सोमवार को राज्यसभा में मुस्लिम आरक्षण को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी। भाजपा ने कर्नाटक सरकार के इस कदम को संविधान विरोधी बताया है। इसी बीच कर्नाटक भाजपा की ओर से बड़ी खबर सामने आई है।
BJP ने 5 नेताओं को भेजा नोटिस
भाजपा ने कर्नाटक इकाई में गुटबाजी और अनुशासनहीनता की शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए मंगलवार को पार्टी के पांच नेताओं को कारण बताओ नोटिस भेजा है। इन नेताओं में कट्टा सुब्रमण्य नायडू, एमपी रेणुकाचार्य, बीपी हरीश, शिवराम हेब्बार और एसटी सोमशेखर का नाम शामिल है। इनको सार्वजनिक मंचों पर पार्टी के आंतरिक मामलों पर ‘अनुचित टिप्पणी’ करने के लिए नोटिस भेजा गया है।
प्रदेश अध्यक्ष को हटाने की मांग
ये नोटिस भाजपा की केंद्रीय अनुशासन समिति के सदस्य सचिव ओम पाठक ने जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि ‘भाजपा की कर्नाटक इकाई में गुटबाजी देखने को मिली है। एक विद्रोही गुट ने प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र के प्रति अपना विरोध जताया है और उन्हें हटाने की मांग की है। विजयेंद्र के समर्थक भी बसनगौड़ा पाटिल यतनाल और अन्य असंतुष्ट नेताओं के खिलाफ बयान दे रहे हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनके कुछ बयानों में पार्टी नेतृत्व की आलोचना भी की गई है।’
प्रदेश अध्यक्ष के करीबी नेताओं को नोटिस
जिन नेताओं को नोटिस जारी किया है उनमें कट्टा सुब्रमण्य नायडू, एमपी रेणुकाचार्य, बीपी हरीश को विजयेंद्र का करीबी माना जाता है। सुब्रमण्य नायडू और रेणुकाचार्य पूर्व मंत्री हैं और हरीश विधायक हैं।
प्रदेश अध्यक्ष ने पहले ही दिए थे कार्रवाई के संकेत
न्यूज एजेंसी एनएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पार्टी नेतृत्व शिवराम हेब्बार और एसटी सोमशेखर के खिलाफ उनकी ‘पार्टी विरोधी’ टिप्पणियों के लिए कार्रवाई करने पर विचार कर रहा था। विजयेंद्र ने पहले ही कहा था कि पार्टी ‘अनुचित टिप्पणियों’ के लिए दोनों विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। दोनों विधायकों को राज्य में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं का करीबी माना जाता है।
क्या कहा गया है नोटिस में?
भाजपा ने पांचों नेताओं को एक जैसा कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। नोटिस में कहा गया है, ‘सार्वजनिक मंचों पर पार्टी के आंतरिक मामलों पर आपकी अनुचित टिप्पणियां भारतीय जनता पार्टी के संविधान और नियमों में निहित अनुशासन संहिता का स्पष्ट उल्लंघन हैं। संगठनात्मक मामलों पर सार्वजनिक रूप टिप्पणी करना पार्टी अनुशासन का उल्लंघन है, जैसा कि अनुच्छेद 25 ‘अनुशासन का उल्लंघन’ खंड (डी) और (एफ) में निहित है।’ भाजपा नेताओं को जवाब देने के लिए 72 घंटे का समय दिया गया है। नोटिस में कहा गया है, ‘कृपया कारण बताएं कि पार्टी को आपके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों नहीं करनी चाहिए? आपका स्पष्टीकरण इस नोटिस की प्राप्ति से 72 घंटे के भीतर हस्ताक्षरकर्ता तक पहुंच जाना चाहिए। अगर निर्धारित समय के भीतर आपका स्पष्टीकरण नहीं मिलता है तो केंद्रीय अनुशासन समिति यह मान लेगी कि आपके पास कहने के लिए कुछ नहीं है और वह इस मामले में अंतिम निर्णय ले सकती है।’