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Kargil Vijay Diwas: बर्फ का फायदा उठाकर करता था घुसपैठ, ऐसी थी पाकिस्तान की कारगिल जंग में प्लानिंग, कैप्टन याशिका ने बताया

Kargil Vijay Diwas: कारगिल की जंग भारत की एतिहासिक जंगों में से एक है। पाकिस्तान के साथ भारत की यह चौथी जंग थी जो आजादी के बाद लड़ी गई थी। यह जंग घुसपैठियों द्वारा एलओसी (LOC) को पार करने पर हुई थी। पाकिस्तान का इस जंग के लिए क्या प्लान था? कैसे लेह पर कब्जा करते-करते उन्होंने सियाचिन तक घेरने का इरादा बना लिया था?

Author Written By: Namrata Mohanty Author Published By : Namrata Mohanty Updated: Jul 25, 2025 11:35

Kargil Vijay Diwas: कारगिल युद्ध साल 1999 में हुई भारत और पाकिस्तान के बीच चौथी जंग थी। यह वॉर लगभग 3 महीने तक चली थी। यह युद्ध 3 मई 1999 को शुरू हुआ था और 26 जुलाई को भारत की फतेह के साथ जंग का अंत हुआ था। इसलिए, 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। हालांकि, युद्ध कभी भी अच्छा नहीं माना जाता है क्योंकि इसमें दोनों देशों के जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। मगर पाकिस्तान हर बार भारत को ललकारता है और लाइन ऑफ कंट्रोल को तोड़ने जैसी हरकतें करता आया है। हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर ने एक बार फिर पाकिस्तान का काला चेहरा बेनकाब किया है। हालांकि, कितनी भी जंग हो जाए पाकिस्तान कभी भी भारत से जीत नहीं पाया है, मगर फिर भी क्यों कारगिल की लड़ाई में मौजद इंडियन आर्मी पाकिस्तान को कमजोर नहीं मानती? इस सवाल का जवाब दिया कैप्टन याशिका ने।

क्या बोलीं याशिका?

कैप्टन याशिका त्यागी बताती हैं इंडियन आर्मी का मोटो सिर्फ अपने बॉर्डर की सुरक्षा और डिफेंस करने का है। इंडियन आर्मी कभी भी खुद किसी भी देश से लड़ने नहीं जाती और न जाएगी क्योंकि यह हमारी ट्रेनिंग का हिस्सा नहीं है। पाकिस्तान को कमजोर न समझने वाली बात पर याशिका कहती है पाकिस्तान अभी भी एक ऐसा देश है जो अपनी पहचान के लिए जंग लड़ रहा है। जहां एक ओर भारत को वर्ल्ड इकॉनमी का स्तंभ माना जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर पाकिस्तान को दुनिया में आज भी सिर्फ भारत की वजह से जाना जाता है। पाकिस्तान कभी भी भरोसे या बिना भारत के नजर ही नहीं आएगा।

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पाकिस्तान ने कैसे लड़ी थी जंग?

कैप्टन याशिका बताती हैं लेह में जिस वक्त बर्फ पड़ती है उस समय इंडियन आर्मी नीचे आ जाती है। बर्फ पिघलने के बाद आर्मी वापस अपनी पोस्ट पर तैनात हो जाती हैं। पाकिस्तानी घुसपैठियों ने बर्फबारी के समय का फायदा उठकर उन सभी पोस्ट्स पर कब्जा कर लिया था। पाकिस्तानियों ने ऐसी पोस्ट्स पर कब्जा किया जहां से नेशनल हाईवे-1 अल्फा पर सीधी नजर रखी जा सके। यह वह सड़क है जो नेशनल हाईवे से सीधे कश्मीर में जुड़ती है। इस सड़क पर चोक करने से लद्दाख का पूरा कब्जा कर ले क्योंकि यहां से सीधा रूट सियाचिन पोस्ट के लिए भी है। इंटरनेशनल लेवल पर पाकिस्तान सियाचिन के लिए लड़ सके इसलिए पाकिस्तान ने इन पोस्ट्स पर कब्जा किया था। बता दे कि वह सड़क साल के सिर्फ 4 महीने चलती है और 8 महीनों तक बंद रहती है।

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पाकिस्तान की घेराबंदी के बीच कैसे आर्मी लॉजिस्टिक ने काम किया?

पाकिस्तान द्वारा नेशनल हाईवे को ब्लॉक करने के बाद जंग लड़ रही सेना के पास एम्यूनेशन की कमी को पूरा करने के लिए इंडियन फोर्स की मदद ली गई। मगर उससे भी ज्यादा मदद लद्दाख के लोगों ने की थी। कैप्टन याशिका बताती हैं कि कारगिल युद्ध के समय में इंडियन आर्मी ने लद्दाख के लोगों से मुश्किल समय में वहां के लोकल लोगों से मदद मांगी थी। आर्मी उम्मीद कर रही थी कि कम से कम 30 से 40 लोग, जो पोर्टर की तरह काम कर सकें, मिल जाएंगे मगर अगले दिन सुबह आर्मी कैंप के बाहर लद्दाख के 400 नौजवान वहां आर्मी की मदद के लिए तैयार खड़े थे। इन लोगों ने जंग के आखिरी दिन तक सेना की मदद की थी।

कैसे एक जंग ने लद्दाख के इंफ्रास्ट्रक्चर को बदला?

कैप्टन याशिका कहती हैं कि उस वक्त आर्मी को जिस परेशानी का सामना करना पड़ा था वह इंफ्रास्ट्रकचर के चलते रास्ते की कमी थी। नेशनल हाईवे-1 के ब्लॉक होने से यह सीखा गया कि इमरजेंसी के समय में आर्मी को मदद मिलना कितना ज्यादा मुश्किल हो सकता है। राशन, एम्युनिशन और गोला बारुद सभी चीजें बाय एयर ले जाना पॉसिबल नहीं था। अब मनाली टू लद्दाख के लिए शुरू हुई अटल टनल चालू हो गई है। इस टनल की मदद से दूर पहाड़ियों पर बैठे हमारे जवानों तक कभी भी किसी भी महीने में राशन और एम्युनिशन को पहुंचाया जा सकता है। इस टनल के ऊपर पाकिस्तान कैसे भी अटैक करें इसका कोई असर अंदर चल रही गाड़ियों पर नहीं पड़ेगा।

26 जुलाई की तारीख कोई आम तारीख नहीं है। यह दिन कारिगल युद्ध की उन कथाओं की याद दिलाता है जिन्हें हर भारतीय को गर्व से जानना चाहिए और हमेशा याद रखना चाहिए कि कैसे भारतीय सेना ने हमारी सुरक्षा के लिए दिन-रात एक कर दुश्मनों को चकमा दिया था।

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First published on: Jul 25, 2025 11:35 AM

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