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Japanese Encephalitis: जापानी इंसेफेलाइटिस ने असम में 60 दिनों में 85 लोगों की हुई मौत

नई दिल्ली: असम में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) से पिछले दो महीनों में 85 लोगों की मौत हो गई है। पिछले नौ दिनों में 10 लोगों की मौत हुई है। राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी बुलेटिन में इसकी जानकारी दी गई है। बुलेटिन में कहा गया है कि इस साल जुलाई से अब तक 390 लोग जापानी […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Aug 29, 2022 12:07
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नई दिल्ली: असम में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) से पिछले दो महीनों में 85 लोगों की मौत हो गई है। पिछले नौ दिनों में 10 लोगों की मौत हुई है। राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी बुलेटिन में इसकी जानकारी दी गई है। बुलेटिन में कहा गया है कि इस साल जुलाई से अब तक 390 लोग जापानी इंसेफेलाइटिस से संक्रमित हुए हैं।

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जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) गर्मी के बाद बरसात के मौसम में फैलता है। सूअरों और पक्षियों में पाया जाने वाला वायरस संक्रमित जानवरों को काटने पर मच्छरों में चला जाता है। फिर मच्छरों के काटने पर इसका संक्रमण मनुष्यों तक पहुंचता है। इसके शुरुआती लक्षणों में मरीज को तेज बुखार आता है। ये बुखार ग्रामीण इलाकों में अधिक होता है।

पिछले कुछ महीनों में जेई के मामलों में वृद्धि को देखते हुए स्थिति से निपटने के लिए जुलाई में एक जिला रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया था। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, असम द्वारा बताए गए सभी मानक संचालन प्रक्रियाओं और दिशा-निर्देशों का पालन किया जा रहा है। राज्य के नौ मेडिकल कॉलेजों और 10 जिला अस्पतालों को आवश्यक सुविधाओं से लैस किया गया है, जहां जेई का उपचार किया जा रहा है।

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जापानी इंसेफेलाइटिस के क्या हैं लक्षण

डॉक्टरों के मुताबिक, अधिकतर मामलों में जापानी इंसेफेलाइटिस से संक्रमित मरीजों में कोई खास लक्षण नहीं दिखते हैं। अगर कोई संक्रमित होता भी है तो सिरदर्द, बुखार, कंपकंपी जैसे सामान्य लक्षण दिखते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, इससे संक्रमित मरीजों के मस्तिष्क में सूजन की समस्या हो सकती है। इसकी वजह से कभी-कभी मरीज के कोमा में जाने की भी आशंका होती है।

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जापानी बुखार के उपचार

जापानी इंसेफेलाइटिस से निपटने के लिए देशभर में टीके मौजूद हैं। मरीज की हालत गंभीर होने के बाद इस टीके का यूज किया जाता है। चूंकि ये बीमारी बरसात में ज्यादा फैलता है, इसलिए इससे बचने के लिए मच्छरदानी का यूज, मच्छरों से बचाव के लिए जरूरी अन्य साधन को अपनाना साथ ही लार्वा पैदा न होने देना इसके बचाव में शामिल है।

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HISTORY

Written By

Om Pratap

Edited By

Manish Shukla

First published on: Aug 28, 2022 02:04 PM
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