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Hydrogen Train: देश की पहली हाइड्रोजन पावर्ड ट्रेन की क्या है खासियत? जानें स्पीड, रूट और सुविधाओं के बारे में सबकुछ

Hydrogen Train India: देश ने रेल क्रांति में मील का पत्थर हासिल किया है। देशभर में जल्द ही हाइड्रोजन पावर्ड ट्रेन दौड़ती दिखाई देंगी। इसकी शुरुआत 31 अगस्त से हो सकती है। जानते हैं इसके रूट और स्पीड के बारे में...

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Pushpendra Sharma Updated: Jul 26, 2025 00:04
Hydrogen Train India
हाइड्रोजन ट्रेन का सफल परीक्षण। Credit-X

Hydrogen Train India: भारतीय रेलवे ने इतिहास रच दिया है। रेलवे ने शुक्रवार को हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन का सफल परीक्षण कर लिया है। चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में ये ट्रायल किया गया। अगस्त के अंत तक भारत की पहली हाइड्रोजन पावर्ड ट्रेन को चलाने की तैयारी चल रही है। जींद-सोनीपत के बीच करीब 90 किलोमीटर के लिए चलाई जाएगी। इसके साथ ही ऐसी करीब 35 ट्रेन चलाने की योजना है। आइए जानते हैं देश की पहली हाइड्रोजन पावर्ड ट्रेन की खासियत क्या है?

क्या है खासियत?

ये एक नॉन-एसी ट्रेन होगी। जिसमें 2 हाइड्रोजन फ्यूल पावर कार यानी इंजन लगे हैं। इसके साथ ही इसमें 8 पैसेंजर कार यानी कोच होंगे। नॉर्दन रेलवे की ओर से जींद-सोनीपत ट्रैक पर ये ट्रेन चलाई जाएगी। इसकी स्पीड लगभग 110 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। ICF की ओर से 1200 हॉर्स पावर प्रोटोटाइप हाइड्रोजन इंजन डवलप किया जा रहा है। ये ट्रेन छोटी दूरी तय करने के लिए डवलप की जा रही है।

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आईसीएफ के जनरल मैनेजर सुब्बा राव ने डेकन हेराल्ड को दिए इंटरव्यू में बताया कि हमने पहली पावर कार को टेस्ट कर लिया है। अगले दो हफ्तों में दूसरी पावर कार को टेस्ट किया जाएगा। इसके बाद पूरी ट्रेन को टेस्ट किया जाएगा, जिसमें 8 पैसेंजर कार होंगी। हमारी योजना 31 अगस्त तक पहली हाइड्रोजन पावर्ड कार चलाने की है। फाइनल टेस्टिंग नॉर्दन रेलवे की ओर से की जाएगी।

कैसे चलेगी हाइड्रोजन ट्रेन?

किसी भी ट्रेन को चलाने के लिए ऊर्जा स्रोत की जरूरत होती है। पहले इंजन कोयले से पैदा होने वाली ऊर्जा से चलते थे, धीरे-धीरे इन्हें बिजली, डीजल और सीएनजी से चलने वाला बनाया गया। अब हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन भी डवलप कर ली गई है।

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ट्रेन हाइड्रोजन फ्यूल सिस्टम पर चलेगी। जिसमें टैंक में हाइड्रोजन गैस भरी जाएगी। इसमें ऑक्सीजन बाहरी हवा से ली जाएगी। दोनों के कैमिकल रिएक्शन से ऊर्जा पैदा होगी, जिससे ट्रेन चलेगी। जबकि गर्मी और भाप बाहर निकल जाएगी। ट्रेन में एक बैटरी सिस्टम भी होगा, जिसे हाइड्रोजन फ्यूल सेल चार्ज करेगा। हाइड्रोजन से पैदा होने वाली बिजली को बैटरियों में स्टोर किया जाएगा। जिसके बाद ये तकनीकी प्रॉसेस से गुजरते हुए ट्रेन के एक्सेल पर लगी ट्रैक्शन मोटर्स तक पहुंचेगी। इस ऊर्जाबल से ही ट्रेन चलेगी।

कितने देश कर रहे इस्तेमाल?

फिलहाल जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन जैसे देश हाइड्रोजन ट्रेन चला रहे हैं। इसकी एक खासियत यह भी है कि ये प्रदूषण नहीं करेगी। इससे कोई जहरीली गैस भी नहीं निकलेगी।

कितनी आएगी लागत?

करीब 2 साल पहले रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि ऐसी 35 ट्रेनें चलाने की योजना है। जिसके लिए प्रति ट्रेन 80 करोड़ रुपये और बुनियादी ढांचे के लिए प्रति मार्ग करीब 70 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

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अश्विनी वैष्णव ने दिखाई झलक

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को एक वीडियो शेयर कर इस ट्रेन की झलक दिखाई। जिसमें सफेद रंग की ट्रेन चलती हुई नजर आ रही है। रेल मंत्री ने वीडियो शेयर कर लिखा- चेन्नई स्थित आईसीएफ में पहले हाइड्रोजन पावर्ड कोच का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। भारत 1,200 हॉर्स पावर हाइड्रोजन ट्रेन डवलप कर रहा है। मंत्री का कहना है कि भारत हाइड्रोजन पावर्ड ट्रेन तकनीक में अग्रणी देशों में शामिल होगा।

First published on: Jul 26, 2025 12:00 AM

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