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भारतीय नौसेना की परमाणु ताकत में बड़ा इजाफा, S4 बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी का समुद्री परीक्षण शुरू

भारतीय नौसेना ने आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए S4 बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी का समुद्री परीक्षण शुरू कर दिया है. 80% स्वदेशी तकनीक और 3500 किमी रेंज के साथ S4 भारत की समुद्री परमाणु ताकत को नई ऊंचाई देगी.

Author Written By: Pawan Mishra Updated: Dec 30, 2025 17:27

भारतीय नौसेना के सूत्रों ने न्यूज 24 से जानकारी साझा करते हुए कहा है कि,नौसेना अपनी समुद्र की शक्ति को लगातार बढ़ा रहा है,नौसेना का लक्ष्य साल 2047 तक पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन जाने का है, जिससे विदेशों पर निर्भरता पूरी तरह से खत्म हो जाए. इसी सिलसिले में सेना ने विशाखापत्तनम में बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी S4 का समुद्री परीक्षण शुरू कर दिया गया है. आपको बता दे कि यह बैलिस्टिक मिसाइल देश की चौथी शक्तिशाली मिसाइलों मे से एक है. यानी अब सहज अंदाजा लगाइये अगर यह परीक्षण सफल हुआ तो भारतीय नौसेना की ताकत के सामने दुश्मन देश चंद सेकेंड भी नहीं टिक पाएगा. नौसेना के अधिकारियों के मुताबिक करीब 7,000 टन वजनी S4 अरिहंत श्रेणी की आखिरी पनडुब्बी है,जिसका एक ही मकसद होता है समुद्री सुरक्षा के दौरान अगर दुश्मन एक्टिव दिखाई दे रहा है तो पल भर में ही अपना परमाणु जवाब देने के लिए तैयार हो जाएगा, क्योंकि यह कई खासियतों से लैस है.

आपको बता दें कि इस बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी S4 को स्वदेशी बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी गई है,इस पनडुब्बी में 80 फीसदी स्वदेशी सामान लगाया गया है. इसके अलावा इस पनडुब्बी में 8 K मिसाइल को तैनात करने की भी क्षमता है,रक्षा सूत्रों के मुताबिक इसकी रेंज करीब 3500 किलोमीटर के आस-पास है, इस पनडुब्बी के सफल परीक्षण के बाद भारतीय नौसेना पूरी दुनिया के सामने एक मिसाल पेश करेगी की वह अब आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बहुत करीब पहुंच गई है. साल 2027 के शुरुआती महीनों में इसे भारतीय नौसेना में शामिल करने की योजना बनाई गई है. नौसेना के एक सीनियर अधिकारी से जब न्यूज 24 ने सवाल किया इस पनडुब्बी को नाम क्यों नहीं दिया गया है तो उन्होने बताया कि नामकरण आमतौर पर सभी परीक्षण पूरे होने के बाद किया जाता है. ऐसे में जब सभी परीक्षण पूरे हो जाएंगे उसके बाद ही इसका नाम रखा जाएगा. आपको बता दे कि जो परीक्षण इस पनडुब्बी यानी बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी S4 में किया जा रहा है उसमें रिएक्टर की जांच, इंजन की क्षमता, पानी के भीतर हथियार परीक्षण और पूरे सिस्टम की सुरक्षा और विश्वसनीयता की परख की जाती है. S4 के शामिल होने से भारत की समुद्री परमाणु ताकत और ज्यादा मजबूत होगी और देश की सुरक्षा को बड़ा बल मिलेगा.जानकारी के मुताबिक फिलहाल भारतीय सेना के पास 4 एसएसबीएन हैं. जिनमें से दो नौसेना के पास है,और बाकी बचे दो का परीक्षण हो रहा है. तीसरा एसएसबीएन, आईएनएस अरिधमन कमीशन होने के लिए तैयार है और इसके एक साल बाद S4 को भी कमीशन कर लिया जाएगा.

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First published on: Dec 30, 2025 05:26 PM

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