What is Underwater Drone: भारत और फ्रांस के बीच 30 सितंबर से 1 अक्टूबर तक स्ट्रैटेजिक डायलाॅग शुरू होने जा रहा है। इस दौरान भारत और फ्रांस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रणनीति पर चर्चा करेंगे। इस बीच फ्रांस और भारत ने परमाणु हथियारों को लेकर सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है। इस दौरान दोनों देशों के बीच जेट इंजन, परमाणु सबमरीन और अंडर वाटर ड्रोन की तकनीक और निर्माण को लेकर बड़ी डील होगी। ऐसे में आइये जानते हैं क्या होते हैं अंडर वाटर ड्रोन जिसका निर्माण फ्रांस के सहयोग से भारत में होना है।
नौसेना के अधिकारी की मानें तो इंडियन नेवी में 75 नई तकनीकें शामिल होने वाली है। इसका मकसद नौसेना को 2030 तक पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाना है। इन तकनीकों में से एक है अंडर वाटर ड्रोन्स। इसे अनमैंन्ड अंडरवाटर व्हीकल भी कहते हैं। अंडरवाटर यानि जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है, ये पानी के अंदर काम करते हैं। इनमें किसी इंसान को बैठने की जरूरत नहीं होती है। इन हथियारों की दो कैटेगरी होती है। पहली रिमोट से चलने वाले अंडरवाटर व्हीकल और दूसरे ऑटोमेटिकली अंडरवाटर व्हीकल। यानि जो स्वचालित होते हैं।
पेट्रोलिंग में काम आता है ड्रोन
फिलहाल अन्य देश जैसे चीन, अमेरिका, फ्रांस, इजराइल सभी रिमोटली ऑपरेटेड अंडरवाटर व्हीकल का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसे एक ऑपरेटर कंट्रोल करता है। ये हथियार समुद्र में निगरानी और पेट्रोलिंग में काम आता है। जरूरत पड़ने पर इनसे हमला भी कर सकते हैं। अंडरवाटर स्वार्ड ड्रोन्स का वजन कुछ किलो से हजार किलो तक हो सकता है। समुद्र में कई हजार मीटर की गहराई तक जा सकते हैं।
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भारत को मिलेगी रणनीतिक बढ़त
नौसेना का मकसद ऐसे ड्रोन्स का बेड़ा तैनात करना है, इसमें ज्यादा से ज्यादा अंडरवाटर ड्रोन्स होंगे जो पानी के अंदर पेट्रोलिंग करेंगे। बता दें कि पड़ोसी देश चीन ड्रोन्स के मामले में हमसें कई गुना आगे है। चीनी सेना लंबे समय हिंद महासागर में अंडरवाटर ड्रोन्स का इस्तेमाल कर रही है। चीन इसके जरिए हिंद महासागर में भारतीय जहाजों की जासूसी करता है। ऐसे में फ्रांस से होने वाली डील भारत को रणनीतिक तौर पर बड़ी बढ़त दिला सकती है।
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