India Defence Export Increased: पिछले 11 सालों में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट पहली बार अपने उच्च स्तर पर पहुंचा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद दुनिया ने भारत का दमखम देखा है। पिछले 1 दशक में भारत का रक्षा निर्यात 34 गुना बढ़ गया है, जो साल 2014 में 686 करोड़ रुपये से बढ़कर साल 2025 में 23,622 करोड़ रुपये हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि औद्योगिक लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल बनाने, लाइसेंस व्यवस्था से भागों और घटकों को हटाने के साथ-साथ उपकरणों के निर्यात के नियमों को आसान बनाने जैसी नीतियों ने भारत को रक्षा उपकरणों के निर्यात को बढ़ाने में मदद की है।
रक्षा मंत्री ने दी जानकारी
इस बारे में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर कर इस बारे में बताया कि भारत के रक्षा निर्यात ने 2024-25 में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की है। इसे 34 गुना की बढ़ोतरी हुई है। राजनाथ सिंह के मुताबिक यह तेज गति से मिली प्रगति है, जो देश की रक्षा प्रणाली के बारे में बताती है। इसमें सार्वजनिक क्षेत्रों की कंपनियों को भी लाभ हुआ है। अब भारतीय कंपनियां भी ग्लोबल लेवल पर बड़े पैमाने पर काम करेंगी और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देंगी।
ये भी पढ़ें- ‘पाकिस्तान है बेहद ‘रंगीन’, यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की डायरी से हुए चौंकाने वाले खुलासे
साल 2026 में 30000 करोड़ का निर्यात
रक्षा और एयरोस्पेस सेक्टर कई नए हब स्थापित करने वाली है और भारत वैश्विक कंपनियों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है। कई विदेशी कंपनियां भी अपनी तकनीक भारतीय कंपनियों के साथ साझा करने और देने को तैयार है। रिपोर्ट्स के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने लगभग 80 देशों को भारत निर्मित गोला-बारूद, हथियार, सिस्टम/सब-सिस्टम और उनके पुर्जे जैसे कई डिफेंस आइटम निर्यात किए हैं। सरकार अब 2026 तक सालाना 30,000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात करने का लक्ष्य तय करेगी।
50000 करोड़ का लक्ष्य 2029 तक होगा पूरा
रक्षा मंत्रालय ने अप्रैल में अपने बयान में यह भी बताया है कि भारत अब एक ऐसा सैन्य बल बन गया है जो पहले बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर था, लेकिन अब आत्मनिर्भरता और स्वदेशी रक्षा उत्पादन पर ज्यादा जोर दे रहा है। इस तरह भारत साल 2029 तक 50,000 करोड़ का लक्ष्य पूरा करेगा।
बाहरी खरीदारों का आकर्षण भारतीय मिसाइलें
DRDO के पूर्व निदेशक रवि गुप्ता बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में युद्ध की नीतियां आधुनिक हो गई हैं। भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से युद्ध होंगे। भारत की मिसाइलों ने आधुनिकिकरण के साथ-साथ भविष्य के लिए भी हर तकनीक में महारत हासिल कर ली है। हमारी सिर्फ ब्रह्मोस नहीं, अन्य बैलिस्टिक मिसाइलें जैसे के4, के15, आर्टिलरी गन और तकनीक से लैस राइफलें भी बाहरी खरीदारों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं।
वैश्विक बाजारों में बढ़ी भारत की मांग
रक्षा मंत्रालय के अप्रैल के बयान में कहा गया था कि रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (DPSU) ने साल 2025 में अपने निर्यात में 42.9% की वृद्धि दिखाई, जो वैश्विक बाजार में भारतीय उत्पादों की बढ़ती मान्यता को दर्शाता है।
आत्मनिर्भर देश की ओर भारत
बढ़ते रक्षा निर्यात से एक बात की ओर और इशारा मिल रहा है, वह यह है कि अब हमारा देश निर्यात के माध्यम से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। भारतीय रक्षा उत्पादों की अच्छी गुणवत्ता और तकनीक ने खरीदारों को आकर्षित किया है।
ये भी पढ़ें- पाकिस्तान ने तोड़ी मस्जिद, भारतीय सेना ने बनाने में की मदद, मुरीद हुए लोग