India appeal filed against Indians death sentence in Qatar MEA Arindam Bagchi: कतर में 8 भारतीयों की मौत की सजा के खिलाफ भारत ने अपील दायर की है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले महीने यानी अक्टूबर में कतर की एक अदालत की ओर से 8 भारतीयों को दी गई मौत की सजा के खिलाफ अपील दायर की है। बता दें कि कतर की एक कोर्ट ने 8 पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई है। ये सभी नौसेना कर्मी पिछले एक साल से अधिक समय से कतर की हिरासत में थे।
विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि कतर कोर्ट का फैसला गोपनीय है। प्रथम दृष्टया एक अदालत है जिसने निर्णय दिया है, कोर्ट के फैसले को हमारी कानूनी टीम के साथ शेयर किया गया है। सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करते हुए अपील दायर की गई है। हम कतर के अधिकारियों के संपर्क में हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2022 में कतर ने आठ पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों को इज़राइल के लिए जासूस के रूप में काम करने के संदेह में हिरासत में लिया था। इस दौरान सभी कर्मी कतर में एक कंपनी में कार्यरत थे। भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों में कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और नाविक रागेश शामिल हैं। इन्हें कतर खुफिया एजेंसी ने 30 अगस्त 2022 को दोहा से गिरफ्तार किया था।
#WATCH Delhi: On death sentence to 8 Indians in Qatar, MEA Spokesperson Arindam Bagchi says, "As we had informed earlier, the court of first instance of Qatar passed a judgment on October 26 in the case involving 8 Indian employees, the judgment is confidential and has only been… pic.twitter.com/Xsbdk01vWf
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) November 9, 2023
जानकारी के मुताबिक, पूर्व नौसैनिकों की जमानत याचिकाएं कई बार कतर के अधिकारियों ने खारिज कर दी। इसके बाद कतर की अदालत ने अक्टूबर में मौत की सजा की घोषणा की थी। अरिंदम बागची ने कहा कि वे (कानूनी टीम) अब आगे कानूनी कदम उठा रहे हैं और एक अपील पहले ही दायर की जा चुकी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि हम इस मामले में कतर के अधिकारियों के साथ भी जुड़े रहेंगे।
सजा पाने वाले भारतीयों के करीबी रिश्तेदार ने किया दावा
सजा पाने वाले भारतीयों में से एक के करीबी रिश्तेदार ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि पश्चिम एशिया के कई मीडिया आउटलेट्स की ओर से गलत जानकारी दी गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि भारतीय नौसेना के जवानों पर एक पनडुब्बी परियोजना पर जासूसी करने का आरोप लगाया गया था। रिश्तेदार के मुताबिक, भारतीय नौसेना के पूर्व जवान जासूसी में नहीं लगे थे बल्कि देश के नौसेना कार्यक्रम में मदद के लिए कतर गए थे। कतर ने जासूसी के इन आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत भी सार्वजनिक नहीं किया है।
पूर्व नौसेना कर्मियों के परिवारों को लगता है कि प्रसारित की गई ये गलत जानकारी पूर्व नौसेना कर्मियों की स्थिति को और खतरे में डाल सकती है। परिवारों के अनुसार, आठ नौसैनिकों ने भारतीय रहते हुए सर्वोच्च निष्ठा और सम्मान के साथ देश की सेवा की है। उनके परिवार और दोस्त बेहद परेशान हैं और उनकी साल भर की हिरासत से सदमे में हैं। जिस बात ने उन्हें और अधिक आहत किया है, वो ये है कि हिरासत की स्थिति को गलत तरीके से पेश किया गया है।
इस बीच, कतर ने अभी तक पूर्व नौसेना अधिकारियों के खिलाफ आरोपों का विवरण प्रदान नहीं किया है, न ही कोर्ट के आदेश को पूर्व नौसेना अधिकारियों के परिवारों के साथ शेयर किया गया है। परिवारों का कहना है कि यह दोनों देशों के बीच का द्विपक्षीय मामला है और इसे बेहद संवेदनशीलता के साथ संभालने की जरूरत है।