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Independence Day: किसने लिखा था राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान? इनको लिखने के पीछे की क्या है कहानी

Independence Day: क्या आप जानते हैं कि भारत का राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान किसने लिखा है? क्या इन गीतों के पीछे भी कोई स्वतंत्रता संग्राम की कहानी है? 15 अगस्त के अवसर पर जानिए इन दो महान्तम संगीतों के बारे में।

Author Written By: Namrata Mohanty Author Published By : Namrata Mohanty Updated: Aug 12, 2025 11:35

Independance Day: जब भी 15 अगस्त, 26 जनवरी या अन्य राष्ट्रीय दिवस पर जन गण मन का स्वर गुंजता है तब हर देशवासी का दिल गर्व से भर जाता है। मगर क्या आप जानते हैं हमारे राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत के पीछे की कहानी क्या है? किसने इन गीतों को लिखा है और कैसे इन्हें राष्ट्र सम्मान प्राप्त हुआ? भारत की आजादी सिर्फ तलवार या बंदूकों के सहारे नहीं मिली थी। यह ऐसी क्रांति थी जिसमें शब्दों ने भी आंदोलन किया था। उन्हीं में ये दो गीत जन गण मन और वंदे मातरम शामिल है। चलिए जानते हैं कि इन गीतों को किसने लिखा और इनके पीछे की प्रेरक कहानियां क्या हैं?

किसने लिखा था राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’?

राष्ट्रगीत वंदे मातरम बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने लिखा था। इस गीत को उन्होंने 1870 के दशक में लिखा था और बाद में इसे 1882 में अपने उपन्यास ‘आनंदमठ’ में प्रकाशित किया था। यह एक क्रांतिकारी गीत है, जो एक ऐसे शख्स ने लिखा था जो खुद ब्रिटिश अधिकारी थे मगर भारतीयों पर होने वाले अत्यचारों ने उन्हें अपनी मातृभूमि के लिए प्रेम जगा दिया। ऐसे इस गीत का निर्माण हुआ था। वंदे मातरम का अर्थ है मां को नमन।

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इस गाने की धुन रवींद्रनाथ टैगोर ने बनाई थी। साल 1950 में इसे राष्ट्रीयगीत घोषित कर दिया गया था। हालांकि, इस गीत को सबसे पहले 1896 में सार्वजनिक रूप से गाया गया था। इस गीत को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने कलकत्ता में गाया था। अवसर था 1896 का अधिवेशन।

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कैसे बना राष्ट्रगान ‘जन गण मन’?

भारत का राष्ट्रगान ऐसा गीत है जो देश के राजा या किसी व्यक्ति विशेष को नहीं बल्कि यहां की पावन भूमि और विभिन्न क्षेत्रों की व्याख्या करता है। इसे रवीन्द्रनाग टैगोर ने लिखा था। इस गीत का निर्माण साल 1911 में हुआ था जिसके बाद इसे पहली बार 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था। हालांकि, उस समय यह गीत विवादों में भी पड़ गया था क्योंकि उस समय कई लोगों को लगा था कि यह गीत उस समय के अंग्रेजी सम्राट जॉर्ज पंचम की प्रशंसा में गाया गया है जबकि इस गीत को टैगोर ने सीधे-सीधे भारत की जन शक्ति और आत्मा को समर्पित किया था। इसे राष्ट्रगान का खिताब साल 1950 में दिया गया था। यह 52 सेकेंड का संगीत है। उस दिन यह गीत सरला देवी चौधुरानी द्वारा गाया गया था।

स्कूलों, सरकारी दफ्तरों में आज भी गूंजते हैं ये गीत

भारत में जन गण मन और वंदे मातरम हर राष्ट्रीय उत्सव पर गाया जाता है। यहां सभी स्कूलों में भी प्रति दिन प्रेयर के बाद राष्ट्रगान गाया जाता है। यह बच्चों में देशभक्ति की भावना को जागृत करता है। सरकारी और सार्वजनिक कार्यक्रमों की शुरुआत और अंत राष्ट्रगान के साथ होती है। खेल, सांस्कृतिक, और राजनीतिक कार्यक्रमों में भी इन गीतों को प्राथमिकता दी जाती है। संसद सत्रों की शुरुआत भी राष्ट्रगान से होती है, जिससे सभी सांसदों में एकता की भावना बनी रहें।

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First published on: Aug 07, 2025 09:32 AM

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