IIT Bombay: इजराइल हमास के बीच चल रहे युद्ध में जहां कुछ देश इजराइल के समर्थन में खड़े हैं तो वहीं कुछ फिलिस्तीन का सपोर्ट कर रहे हैं। इस युद्ध को लेकर अलग-अलग विचारधारा भी सामने आ रही है। इस बीच आईआईटी बॉम्बे में इस युद्ध को लेकर बवाल मच गया।
जानकारी के अनुसार, इजराइल के खिलाफ फिलिस्तीनी स्वतंत्रता संग्राम के बारे में बात करते समय कथित तौर पर आतंकवाद का महिमामंडन करने के लिए एक प्रोफेसर और एक गेस्ट स्पीकर की गिरफ्तारी की मांग को लेकर आईआईटी बॉम्बे के बाहर शनिवार को विरोध प्रदर्शन किया गया।
प्रदर्शनकारियों के अनुसार, प्रतिष्ठित संस्थान के मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग की प्रोफेसर शर्मिष्ठा साहा और अतिथि वक्ता सुधन्वा देशपांडे ने 6 नवंबर को शैक्षणिक पाठ्यक्रम ‘एचएस 835 परफॉर्मेंस थ्योरी एंड प्रैक्सिस’ के तहत एक बातचीत के दौरान कथित तौर पर आतंकवादी और सशस्त्र विद्रोह पर चर्चा की।
विवेक विचार मंच के तत्वावधान में प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि देशपांडे ने फिलिस्तीनी आतंकवादी जकारिया जुबैदी का महिमामंडन किया था, जो कथित तौर पर अल-अक्सा शहीद ब्रिगेड का हिस्सा है। उसे कई देशों द्वारा आतंकवादी संगठन नामित किया गया है। उन्होंने 2015 में उससे मिलने की बात भी स्वीकार की थी।
The students & alumni of @iitbombay along with volunteers of @VivekVicharMnch strongly protested against the glorification of terrorists in IITB classrooms. While vehemently condemning the abuse of academic freedom to whitewash acts of terror, they demanded the permanent… pic.twitter.com/8WxOhZDo2h
— IIT B for Bharat (@IITBforBharat) November 11, 2023
उन्होंने 6 नवंबर की बातचीत के पीछे के मकसद का पता लगाने के लिए साहा और देशपांडे के फोन कॉल और ईमेल की जांच की मांग की। साथ ही कहा कि प्रोफेसर को आईआईटी बॉम्बे से हटाया जाना चाहिए।
एक छात्र ने बताया कि यह बातचीत आईआईटी बॉम्बे में पढ़ने वालों को घृणित और झूठी कहानियों के माध्यम से प्रेरित करने का कदम था।
7 नवंबर को पुलिस को सौंपे गए पत्र में कुछ छात्रों ने दावा किया कि साहा ने देशपांडे जैसे वक्ताओं को आमंत्रित करने के लिए अपने पद का अनुचित उपयोग किया था, जिनके बारे में उनका दावा था कि वह “कट्टरपंथी वामपंथी” थे।
पुलिस को सौंपे गए पत्र में दावा किया गया है कि इस तरह की घटनाओं से आईआईटी बॉम्बे की शैक्षणिक अखंडता और सुरक्षा पर चिंताजनक परिणाम होते हैं क्योंकि वे आतंकवाद से जुड़ी विचारधाराओं को बढ़ावा देते हैं।