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अगर अंतरिक्ष में किसी वैज्ञानिक की हो जाए मौत तो डेडबॉडी का क्या होगा? जानें NASA के प्रोटोकॉल

NASA Protocols: क्या मंगल ग्रह या चांद पर जीवन है? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए देश के वैज्ञानिक कई शोध कर रहे हैं। कई बार वैज्ञानिक स्पेस मिशन पर जाते हैं। लेकिन सोचिए यदि कोई वैज्ञानिक स्पेस में फंस जाए और दुर्भाग्य से उसकी मौत हो जाए तो उसके शरीर का क्या होगा? […]

Edited By : Bhola Sharma | Updated: Aug 2, 2023 16:43
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Space Scientist, space Mission, dead body, NASA Protocols
Space Mission

NASA Protocols: क्या मंगल ग्रह या चांद पर जीवन है? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए देश के वैज्ञानिक कई शोध कर रहे हैं। कई बार वैज्ञानिक स्पेस मिशन पर जाते हैं। लेकिन सोचिए यदि कोई वैज्ञानिक स्पेस में फंस जाए और दुर्भाग्य से उसकी मौत हो जाए तो उसके शरीर का क्या होगा? अमेरिकी एजेंसी NASA (National Aeronautics and Space Administration) ने इसके लिए गाइडलाइन बना रखी है।

60 साल पहले शुरू हुआ इंसान का अंतरिक्ष सफर

पहले वैज्ञानिक कभी चूहों या कुत्ते को अंतरिक्ष में भेजते थे। क्योंकि किसी इंसान को स्पेस पर भेजना बेहद कठिन काम है। 60 साल पहले ही मनुष्य को अंतरिक्ष पर भेजने जैसा असाधारण काम शुरू हुआ था। पहले अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग थे, जो अमेरिका के रहने वाले थे। अपोलो-11 मिशन में नासा ने इस मिशन को पूरा किया था।

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60 साल में 20 यात्रियों की मौत

60 सालों में 20 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हुई है। 1986 और 2003 की नासा अंतरिक्ष शटल त्रासदी में 14, 1971 के सोयुज 11 मिशन के दौरान तीन अंतरिक्ष यात्री और 1967 में अपोलो 1 लॉन्च पैड में आग लगने से तीन अंतरिक्ष यात्री मारे गए। जैसे-जैसे अंतरिक्ष यात्रा आम होती जा रही है, वैसे-वैसे यह संभावना भी बढ़ती जा रही है कि रास्ते में किसी की मृत्यु हो सकती है।

नासा 2025 में चंद्रमा पर एक वैज्ञानिकों का दल भेजने की तैयारी कर रहा है। इसके अगले दशक में मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की भी प्लानिंग है।

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चांद या मंगल पर मौत हो तो क्या होगा?

अंतरिक्ष यात्रा पर जाने से पहले वैज्ञानिकों को हर कठिन परिस्थिति के लिए तैयार किया जाता है। उसे जांच की कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। यह काम अंतरिक्ष चिकित्सा दल करता है। यदि कोई मिशन पर मर जाता है, तो चालक दल कुछ घंटों के भीतर एक कैप्सूल में शरीर को पृथ्वी पर वापस ला सकता है।

यदि मौत चंद्रमा पर हुई है तो दल कुछ ही दिनों में शव के साथ पृथ्वी पर लौट सकता है। यदि डेड बॉडी को पृथ्वी पर लाना असंभव है तो नासा की पहली प्राथमिकता यह है कि बाकी दल सुरक्षित पृथ्वी पर लौट आए। यदि मंगल ग्रह की 300 मिलियन मील की यात्रा के दौरान किसी अंतरिक्ष यात्री की मृत्यु हो जाए तो चीजें अलग होंगी।

ऐसी दशा में चालक दल संभवत: मुड़कर वापस नहीं जा पाएगा। इसके बजाय मिशन के अंत में, जो कुछ साल बाद होगा, शव चालक दल के साथ पृथ्वी पर लौटने की संभावना है।

इस बीच, चालक दल संभवतः शव को एक अलग कक्ष या विशेष बॉडी बैग में संरक्षित करेगा। अंतरिक्ष यान के अंदर स्थिर तापमान और आर्द्रता शरीर को संरक्षित करने में मदद करेगी। लेकिन ये सभी परिदृश्य केवल तभी लागू होंगे जब किसी की मृत्यु अंतरिक्ष स्टेशन या अंतरिक्ष यान जैसे दबाव वाले वातावरण में हुई हो।

 

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क्या बिना स्पेससूट के यात्रा संभव?

यदि कोई व्यक्ति बिना स्पेससूट की सुरक्षा के अंतरिक्ष में कदम रखे तो क्या होगा? अंतरिक्ष यात्री लगभग तुरंत मर जाएगा। दबाव कम होने और अंतरिक्ष के निर्वात के संपर्क में आने से अंतरिक्ष यात्री के लिए सांस लेना असंभव हो जाएगा, और रक्त और शरीर के अन्य तरल पदार्थ उबलने लगेंगे।

चंद्रमा पर लगभग कोई वायुमंडल नहीं है। मंगल ग्रह का वातावरण बहुत पतला है, और लगभग कोई ऑक्सीजन नहीं है। ऐसे में मौत निश्चित है।

क्या होगी अंतिम संस्कार की प्रक्रिया?

मान लीजिए कि अंतरिक्ष यात्री की मंगल की सतह पर उतरने के बाद मृत्यु हो गई। ऐसी दशा में दाह-संस्कार करना जरूरी नहीं है। इसके लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो जीवित दल को अन्य उद्देश्यों के लिए चाहिए होती है। दफनाना भी अच्छा नहीं है। शरीर से बैक्टीरिया और अन्य जीव मंगल ग्रह की सतह को दूषित कर सकते हैं। इसके बजाय, चालक दल संभवतः शव को एक विशेष बॉडी बैग में तब तक सुरक्षित रखेगा जब तक कि उसे पृथ्वी पर वापस नहीं लाया जा सके।

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Edited By

Bhola Sharma

First published on: Aug 02, 2023 03:06 PM

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