Hindenburg Report Update: बीजेपी ने सोमवार को हिंडनबर्ग को लेकर लगाए गए राहुल गांधी के आरोपों पर जवाबी हमला बोला है। राहुल गांधी की अंपायर समझौतावादी टिप्पणी को लेकर बीजेपी प्रवक्ता सीआर केसवन ने क्रिकेट के उदाहरण के जरिए ही उन पर तंज कसा है। हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सेबी अध्यक्ष माधुरी बुच की अडाणी ग्रुप की कंपनियों में हिस्सेदारी है। ये हिस्सेदारी उन कंपनियों में जिस पर हिंडनबर्ग ने पिछले साल सवाल उठाए थे।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद राहुल गांधी ने वीडियो जारी कर केंद्र सरकार और सेबी अध्यक्ष माधुरी बुच पर हमला बोला था। इसके साथ ही उन्होंने इस पूरे मामले की जांच संसदीय समिति से कराने की मांग की थी। अब इस पूरे मामले को लेकर बीजेपी के प्रवक्ता केसवन ने जवाबी हमला बोला है। उन्होंने पीटीआई से बातचीत में कहा कि कांग्रेस भारत की फाइनेंसियल सिस्टम को अस्थिर करना चाहते हैं।
कांग्रेस अपने मिशन में कामयाब नहीं होगी
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने इस रिपोर्ट की तुलना क्रिकेट से की है। उन्होंने ये तुलना ठीक वैसे ही की है जैसे एक बार ग्रेग चैपल ने भारतीय क्रिकेट के साथ किया था। यह हिट एंड रन हिंडनबर्ग और कुटिल कांग्रेस-इंडिया गठबंधन है जो हमारे शेयर बाजार को अस्थिर और भारत के फाइनेंसियल सिस्टम को खत्म करना देना चाहते हैं। बीजेपी प्रवक्ता ने आगे कहा कि कांग्रेस का पीएम मोदी को कमजोर करने का मिशन कामयाब नहीं होगा। उन्होंने पीएम की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को न सिर्फ मजबूत बल्कि स्थिर और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनाया है।
#WATCH हिंडनबर्ग रिसर्च की हालिया रिपोर्ट पर बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, “भारत के लोगों द्वारा ठुकराए जाने के बाद, कांग्रेस पार्टी, उसके सहयोगियों और टूलकिट गिरोह ने मिलकर भारत में आर्थिक अराजकता और अस्थिरता लाने की साजिश रची है? हिंडनबर्ग रिपोर्ट शनिवार को जारी हुई है,… pic.twitter.com/Tcc5N7A5qL
---विज्ञापन---— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 12, 2024
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रविशंकर प्रसाद ने भी साधा निशाना
इससे पहले बीजेपी प्रवक्ता और सांसद रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर चिट राजनीति में शामिल होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी और उनके नेताओं को मिलने वाले चिटों के बारे में क्या किया जाना चाहिए? वे पूरे शेयर बाजार को ध्वस्त करना चाहते हैं। छोटे निवेशकों के पूंजी निवेश को रोकना चाहते हैं।
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