PM Modi Unknown Facts: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपना 74वां जन्मदिन मना रहे हैं। पूरा देश उन्हें शुभकामनाएं दे रहा है। वहीं भाजपा उनके जन्मदिवस को सेवा पखवाड़े के रूप में सेलिब्रेट कर रही है। यह पखवाड़ा 17 सितंबर से 2 अक्तूबर तक चलेगा। नरेंद्र मोदी पिछले 10 साल से केंद्र में भाजपा की सरकार चला रहे हैं और इस साल तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक छोटे से शहर से और गरीब परिवार से निकलकर प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचने का उनका सफर आसार नहीं रहा। वे एक चाय की दुकान पर काम करते थे, लेकिन दूसरों की देखा-देखी RSS जॉइन करने के बाद उनका जीवन बदल गया और उस एक फैसले की बदौलत आज वे इस मुकाम पर हैं। आज उनके जन्मदिन के मौके पर उनके जीवन से जुड़े 7 अनसुने किस्सों के बारे में जानते हैं, जो उनके व्यक्तित्व को भी दर्शाते हैं।
पिता का मुखाग्नि देकर मीटिंग जॉइन करने पहुंचे
विश्व हिंदू परिषद के महासचिव दिलीप त्रिवेदी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी अपने कर्तव्य और काम के प्रति कितने समर्पित हैं, इसका उदाहरण साल 1989 में पूरी भाजपा को देखने को मिला, जब वे अपने पिता के निधन के दिन मुखाग्नि देने के बाद गुजरात भाजपा की मीटिंग जॉइन करने पहुंच गए थे। उन्हें मीटिंग में देखकर पदाधिकारी चौंक गए और सवाल किया तो उन्होंने जवाब दिया कि मीटिंग बहुत जरूरी थी, इसमें भविष्य के फैसले लिए जाने थे, इसलिए आ गया।
जब खून देकर बचाई कैंसर पीड़ित की जान
प्रधानमंत्री मोदी काफी जिंदादिल इंसान हैं। इसका उदाहरण वकील रामचंद्र मोदी ने बताया। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने एक परिचित को रक्त देकर उसकी जान बचाई थी। वह किडनी के कैंसर से ग्रस्त था और अहमदाबाद के गुलाब बाई हॉस्पिटल में एडमिट था। बड़े भाई सोमभाई से पता चलने पर वे खून देने पहुंचे और डॉक्टर से कहा कि जितना जरूरत हो तो उतना खून ले लना। वहीं जब पीड़ित के परिजनों ने उन्हें कुछ देना चाहा तो लेने से इनकार करते हुए बोले कि मेरा जन्म खून देने के लिए हुआ है, पैसे कमाने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ हूं।
जब पुलिसवालों से बोले, चलो गुंडे कहां गए, दिखाता हूं
वेजलपुर के विधायक अमित ठाकर एक किस्सा याद करते हुए बताते हैं कि गुजरात में जब चिमनभाई पटेल की सरकार थी और उपचुनाव के हालात बन गए थे, जब नरेंद्र मोदी प्रदेश में भाजपा के महामंत्री थे। कांग्रेस नेता गुंडागर्दी पर उतरे थे। बूथ कैप्चरिंग और फायरिंग करने लगे थे। एक बूथ कैप्चर होने की खबर सुनकर और गुंडों के अगले टारगेट के बारे में जानकर वे पुलिस के पास पहुंचे तो पुलिस बोली कि हमें पता नहीं कि वे अब कहां गए तो नरेंद्र मोदी ने कहा कि चलो मेरे साथ, गुंडे कहां गए हैं, मैं बताता हूं और दिखाता हूं।
मोदी के कंधे पर ली केशवराव ने आखिरी सांस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धैर्य और हिम्मत की मिसाल हैं, इसका उदाहरण राजकोट से RSS के कार्यकर्ता गिरीश भट्ट द्वारा बताया गया यह किस्सा है। वडोदरा में संगीत कार्यक्रम के हिस्सा लेने के बाद वे वरिष्ठ संघ प्रचारक लक्ष्मण राव को रेलवे स्टेशन छोड़ने जा रहे थे। उनके साथ केशवराव मोदी भी थे। बीच रास्ते में केशवराव ने उनके कंधे पर सिर रखा और दम तोड़ दिया। अचानक हुई इस घटना का पता चलने पर भी वे गाड़ी ड्राइव करते रहे। हिम्मत और धैर्य नहीं खोया।
जब सरदार बनकर जेल में पहुंच गए थे मोदी
मशहूर लेखक, पत्रकार, साहित्यकार पद्मश्री विष्णु पंड्या बताते हैं कि 1967 की बात है, जब इमरजेंसी के विरोधियों को गिरफ्तार करके जेल भेजा जा रहा था। नरेंद्र मोदी को भी पुलिस तलाश रही थी। राम जेठमलानी के संदेश जेल में मुझ तक पहुंचाने के लिए नरेंद्र मोदी सरदार बनकर आ गए थे। उन्होंने ऐसा गेटअप लिया था कि जेल के सुरक्षाकर्मी और जेल सुपरिंटेंडेंट पहचान तक नहीं सके थे। तब पता चला था कि नरेंद्र मोदी कितने बहादुर हैं।
जब मां को स्टेज पर लाने से इनकार करके चौंकाया सबको
वडनगर के रिटायर्ड टीचर कौशल देसाई बताते हैं कि 1992 में प्रधानमंत्री मोदी ने कश्मीर में आजाद चौक पर तिरंगा फहराया था। लौटते समय खानपुर शहर में एक जनसभा रखकर उनका सम्मान किया गया। इसमें उनकी मां हीराबा के हाथों से उनको सम्मानित कराया जाना था, लेकिन उन्होंने मां को स्टेज पर लाने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि मैं भारत माता का सपूत बनकर कश्मीर गया था। इसलिए मेरी मां को स्टेज पर नहीं लाना, मैं नीचे जानकर उनके पांव छूकर आशीर्वाद ले लूंगा।
जब अमेरिका में अंग्रेजी में स्पीच देने का किया दावा
पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने एक किस्सा सुनाते हुए बताया कि लाल कृष्ण आडवाणी की रथयात्रा की जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी को मिली थी। वे पूरे कॉन्फिडेंस के साथ काम करते थे और मीडिया से रूबरू होते थे। इस दौरान एक कार्यक्रम में उनकी जगह प्रमोद महाजन को आगे कर दिया गया, क्योंकि उनकी अंग्रेजी अच्छी थी, लेकिन नरेंद्र मोदी को जब यह पता चला तो वे हंसने लगे और बोले कि उनकी इंगलिश अच्छी है, एक दिन मैं भी अमेरिका में अंग्रेजी में स्पीच दूंगा और ऐसा हो भी चुका है। उन्होंने अमेरिका में इंगलिश में स्पीच दी थी, लेकिन इसके लिए उन्होंने टेलिप्रॉम्पटर की मदद ली थी।