Thursday, 28 March, 2024

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GangWar: आनंदपाल के पहले से था ‘राजू ठेठ’ का आतंक, क्यों हुई राजस्थान के इस गैंगस्टर की हत्या? चलिए 25 साल पीछे

Rajasthan GangWar: गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के अपराधी बनने से पहले से ही राजू ठेठ का आतंक था। भले ही आनंदपाल अब नहीं रहा, लेकिन ठेठ का नाम अभी भी राजस्थान में जबरन वसूली और अन्य अपराधों के लिए इस्तेमाल किया जाता था। आतंक की दुनिया में राजू ठेठ की एंट्री और मर्डर को समझने के […]

Edited By : Nitin Arora | Updated: Dec 3, 2022 14:54
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Rajasthan GangWar: गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के अपराधी बनने से पहले से ही राजू ठेठ का आतंक था। भले ही आनंदपाल अब नहीं रहा, लेकिन ठेठ का नाम अभी भी राजस्थान में जबरन वसूली और अन्य अपराधों के लिए इस्तेमाल किया जाता था।

आतंक की दुनिया में राजू ठेठ की एंट्री और मर्डर को समझने के लिए करीब 25 साल पहले 1995 में लौटते हैं, जब बीजेपी की भैरों सिंह सरकार हवा में झूल रही थी और राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लागू था।

राजू ठेठ ने गोपाल फोगट से हाथ मिलाया

सीकर जिले का एसके कॉलेज कभी शेखावाटी की राजनीति का केंद्र हुआ करता था। इस कॉलेज में बीजेपी के छात्र संगठन ABVP के कार्यकर्ता गोपाल फोगाट का दबदबा रहा करता था। फोगाट शराब के कारोबार से जुड़े थे।

राजू ठेठ ने फोगट से हाथ मिलाया और शराब के धंधे में भी उतर गए। फिर उनकी मुलाकात बलबीर बानूड़ा से हुई। साल 1998 में बानूड़ा और ठेठ ने मिलकर सीकर में भेभाराम हत्याकांड को अंजाम दिया और इसी के साथ शेखावाटी में गैंगवार शुरू हो गई। 1998 से 2004 तक दोनों अपराधियों ने शेखावाटी क्षेत्र में अपना आतंक कायम कर लिया।

शराब की दुकान का कॉन्ट्रैक्ट

वर्ष 2004 में वसुंधरा राजे सरकार के तहत राजस्थान में शराब के ठेकों के लिए एक लॉटरी निकाली गई, जिसमें जीण माता इलाके में शराब दुकान का ठेका राजू ठेठ और बलबीर बानूड़ा को मिला।

दोनों ने शराब की दुकान चलाने की जिम्मेदारी बलबीर बानूड़ा के साले विजयपाल को दी थी। उसे ठेठ और बानूड़ा को रोजाना हिसाब-किताब की जानकारी देने को कहा गया। हालांकि, राजू ठेठ को उस पर ब्लैक में शराब बेचने और खातों में गड़बड़ी का शक था। इसके कारण ठेठ और विजयपाल के बीच बहस हुई जो बढ़ गई और ठेठ ने अपने साथियों की मदद से विजयपाल की हत्या कर दी।

विजयपाल की हत्या, दो दोस्तों के बीच दुश्मनी, आनंदपाल की एंट्री

विजयपाल की हत्या ने राजू ठेठ और बलबीर बानूड़ा के संबंध तोड़ दिए और वे दुश्मन बन गए। बलबीर बानूड़ा अब अपने साले विजयपाल की हत्या का बदला लेने पर उतारू था।

अपना बदला लेने के लिए बलबीर बानूड़ा ने नागौर जिले के सावरद गांव निवासी आनंदपाल सिंह से हाथ मिला लिया। खुद नेताओं से ठगा आनंदपाल नेताओं से बदला लेने की आग में जल रहा था। बलबीर बानूड़ा और आनंदपाल सिंह दोनों दोस्त बन गए और बदला लेने की कसम खाई।

जून 2006 में, ठेठ के समर्थक गोपाल फोगट को मारने की योजना बनाई गई और योजना को अंजाम दिया गया। सालों तक दोनों गिरोह पुलिस से लुकाछिपी का खेल खेलते रहे और वारदातों को अंजाम देते रहे।

गैंगवार

26 जनवरी 2013 को जब पूरा देश गणतंत्र दिवस के रंग में रंगा हुआ था, तब बानूड़ा के खास दोस्त सुभाष बराल ने सीकर जेल में बंद राजू ठेठ पर हमला किया, लेकिन वह बच गया।

हमले के बाद राजू ठेठ ने गिरोह की कमान अपने भाई ओमप्रकाश उर्फ ओमा ठेठ को सौंप दी थी।

इस बीच, आनंदपाल और बलबीर बानूड़ा बीकानेर जेल में बंद थे। संयोग से उस समय ओमा ठेठ के साले जयप्रकाश और रामप्रकाश भी उसी जेल में बंद थे। उन्होंने 24 जुलाई 2014 को बलबीर बानूड़ा और आनंदपाल पर हमला कर दिया। इस हमले में आनंदपाल बच गया, बलबीर बानूड़ा मारा गया। हालांकि, दोनों गिरोह अब एक दूसरे को मारने के लिए दृढ़ थे। हालांकि, 2017 में आनंदपाल एक एनकाउंटर में मारा गया।

एनकाउंटर के बाद कुछ समय के लिए शेखावाटी गैंगवार ठंडा पड़ गया, लेकिन तब तक लॉरेंस बिश्नोई का गैंग धीरे-धीरे राज्य में अपने पैर पसार चुका था और आज ठेठ का भी काम खत्म कर दिया गया।

राजू ठेठ की हत्या

2022 में ठेठ को पैरोल दी गई और 3 दिसंबर यानी आज उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। रोहित गोदारा नाम के एक अपराधी ने हत्या की जिम्मेदारी ली। आनंदपाल और बलबीर बानूड़ा की हत्या का बदला लेने की बात करते हुए रोहित गोदारा ने लिखा, ‘मैं हत्या की जिम्मेदारी लेता हूं, बदला पूरा हो गया है।’ उसने फेसबुक पर लिखा, ‘आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद गिरोह के सदस्य लॉरेंस बिश्नोई गिरोह में शामिल हो गए। दोनों गिरोह इस घटना में शामिल थे।’

गोदारा के खिलाफ हत्या के प्रयास, डकैती, रंगदारी समेत अन्य जघन्य अपराधों के 17 मामले दर्ज हैं। बता दें कि राजू पर करीब एक दर्जन राउंड फायर किए गए। उसके साथ एक और शख्स भी इस हमले में मारा गया।

First published on: Dec 03, 2022 02:44 PM

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