दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी बंगले से कथित तौर पर नकदी मिलने के मामले की जांच की गई है। इस मामले की जांच खुद दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने की है। जांच के बाद उन्होंने अपनी रिपोर्ट सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना को सौंप दी है। सीजेआई जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई करेंगे। बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट के वरिष्ठ जज यशवंत वर्मा उस वक्त चर्चा में आए, जब उनके सरकारी आवास से बड़े पैमाने पर नकदी मिलने की खबर सामने आई। इसी बीच भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल और प्रतिष्ठित वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने ज्यूडिशियरी सिस्टम में सुधार की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है।
क्या कहा मुकुल रोहतगी ने?
मुकुल रोहतगी ने इस बात को हाईलाइट किया कि जज को महाभियोग के जरिए हटाने की मौजूदा प्रक्रिया काफी जटिल है, जिसका प्रमाण यह तथ्य है कि पिछले 75 वर्षों में एक भी महाभियोग पूरा नहीं हुआ है। रोहतगी ने कहा कि ज्यूडिशियरी अपॉइंटमेंट सिस्टम में भी महत्वपूर्ण सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि सरकार ने न्यायिक नियुक्तियों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) की शुरुआत की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया ताकि नियुक्ति प्रक्रिया पर उसका नियंत्रण बना रहे।
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‘जजों की नियुक्ति में पारदर्शिता का अभाव’
रोहतगी के अनुसार, मौजूद सिस्टम में जज ही जजों की नियुक्ति करते हैं, इसमें पारदर्शिता का अभाव है। उन्होंने ज्यादा संतुलित और खुली प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए प्रसिद्ध न्यायविदों, कलाकारों, सार्वजनिक हस्तियों और विपक्षी नेताओं जैसे बाहरी हितधारकों को शामिल करने का सुझाव दिया। उन्होंने मौजूदा प्रक्रिया की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि मौजूदा प्रक्रिया में कुछ लोगों का एक छोटा समूह यह निर्णय लेता है कि किस न्यायाधीश को किस हाई कोर्ट में नियुक्त किया जाए। साथ ही उन्होंने समाज के अन्य लोगों को इस प्रक्रिया में शामिल करने और उनकी जवाबदेही तय करने की मांग की।
महाभियोग प्रक्रिया को सरल बनाने की आवश्यकता
किसी जज को हटाए जाने के मुद्दे पर रोहतगी ने जोर देकर कहा कि महाभियोग प्रक्रिया अत्यधिक जटिल है और इसे सरल बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने न्यायपालिका और संसद से आग्रह किया कि वे संबंधित हितधारकों के साथ मिलकर निष्कासन प्रक्रिया पर पुनर्विचार करें और अधिक पारदर्शिता और योग्यता के लिए प्रणाली में सुधार करें।
पुलिस को घर से भारी मात्रा में मिला था कैश
बता दें कि कुछ दिन पहले जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लगी थी और इस दौरान पुलिस को भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। जिस समय ये नकदी बरामद हुई उस समय जस्टिस यशवंत वर्मा शहर में नहीं थे। जस्टिस के आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने की सूचना बाद में सीजेआई संजीव खन्ना की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम को मिली। इसके बाद कॉलेजियम ने जस्टिस यशवंत वर्मा को फिर से इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर करने की सिफारिश की है।