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बीजेपी को नहीं मिला ‘राम’ का आशीर्वाद; अयोध्या में क्यों झेलनी पड़ी हार? 5 पॉइंट्स में समझें पूरा खेल

Faizabad-Ayodhya Election Results 2024: 1993 में बाबरी मस्जिद टूटने के बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए। बीजेपी को उम्मीद थी कि जनादेश उनके पक्ष में होगा। मगर मुलायम सिंह और काशीराम ने मिलकर सरकार बना ली। इस दौरान एक नारा काफी लोकप्रिय हुआ था- 'मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्री राम'। बीते दिन आए अयोध्या के नतीजों ने इतिहास दोहरा दिया।

Edited By : Sakshi Pandey | Updated: Jun 5, 2024 12:32
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Ram Mandir Modi Yogi Ayodhya Election Results 2024
अयोध्या में बीजेपी के हार के कारण

Faizabad-Ayodhya Election Results 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में बेशक बीजेपी ने तीसरी बार जीत की हैट्रिक लगा दी। मगर उत्तर प्रदेश के नतीजे चौंकाने वाले रहे। यूपी की 80 सीटों में से बीजेपी सिर्फ 33 सीटों पर सिमट गई तो वहीं समाजवादी पार्टी 37 सीटों के साथ सूबे की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। हालांकि सबसे ज्यादा हैरान अयोध्या के नतीजों ने किया।

अयोध्या में बीजेपी के लल्लू सिंह को 54567 वोटों से हार झेलनी पड़ी। समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद ने यहां से जीत दर्ज की। नतीजों से साफ है कि जिस राम मंदिर को बीजेपी ने देशभर में अपना चुनावी एजेंडा बनाया उसी राम की नगरी में बीजेपी को शिकस्त मिल गई। तो आइए जानते हैं कि अयोध्या में बीजेपी के हार के बड़े कारण क्या हैं?

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1. एंटी इन्कंबैंसी पड़ी भारी

अयोध्या में बीजेपी को एंटी इन्कंबैंसी का सामना करना पड़ा। दरअसल लल्लू सिंह पिछले 10 साल से फैजाबाद के सांसद रहे हैं। 2014 और 2019 में जीतने के बाद बीजेपी ने लल्लू सिंह को तीसरी बार टिकट दिया था। हालांकि जनता में उन्हें लेकर काफी असंतोष था, जिसकी वजह से लोगों ने सपा के रूप में दूसरा विकल्प चुनना बेहतर समझा।

2. जीत का चेहरा बने पीएम मोदी

अयोध्या में जीत को लेकर बीजेपी पहले से काफी कॉन्फीडेंट थी। यही वजह है कि पार्टी ने अयोध्या में अधिक प्रचार-प्रसार नहीं किया। यहां मतदाताओं को लुभाने के लिए राम मंदिर को मुद्दा बनाया गया तो पीएम मोदी को जीत का चेहरा। मगर लल्लू सिंह का ये प्लान उन्हीं पर बैकफायर कर गया और उन्हें हार झेलनी पड़ी।

3. सपा ने साधा जातीय समीकरण

अयोध्या में जहां बीजेपी सिर्फ राम मंदिर के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही थी। तो वहीं सपा ने जातीय समीकरण साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सपा पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वोट खींचने में कामयाब रही। इसका नुकसान बीजेपी को हुआ।

4. सपा ने चुना मजबूत प्रत्याशी

फैजाबाद लोकसभा सीट से जीत दर्ज करने वाले समाजवादी पार्टी के नेता अवधेश प्रसाद पिछले काफी समय से स्थानीय राजनीति में एक्टिव हैं। 1977 से 2022 के बीच में अवधेश प्रसाद 9 बार विधायक रह चुके हैं। जमीनी स्तर पर उनकी बेहतर पकड़ का फायदा सपा को हुआ है।

5. लोगों की नाराजगी

2019 में राम मंदिर का फैसला आने के बाद बीजेपी ने अयोध्या के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी। बड़े-बड़े हाईवे से लेकर कई बड़ी कंपनियों को अयोध्या में हरी झंडी दिखाई गई। हालांकि रिपोर्ट्स की मानें तो विकास कार्यों के लिए कई किसानों की जमीनें जबरदस्ती सस्ते दामों पर खरीद ली गईं। ऐसे में किसानों की नाराजगी नतीजों के रूप में सामने आई।

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Sakshi Pandey

First published on: Jun 05, 2024 12:32 PM

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