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पेट्रोल-डीजल और शराब-बीयर के रेट GST के दायरे में क्यों नहीं? केंद्र और स्टेट के टैक्स के आंकड़ों से समझें

Why Petrol Diesel Rate and Liquor Beer rates not under GST: पेट्रोल-डीजल और शराब-बीयर के दाम GST के दायरे में क्यों नहीं आते? इसे लेकर लोगों के मन में तो सवाल उठते रहते हैं, लेकिन न तो केंद्र सरकार ऐसा चाहती है और न ही राज्य सरकार। दोनों सरकारें अपने स्तर पर अलग-अलग टैक्स लगाकर इनसे राजस्व कमाती हैं। GST काउंसिल की मीटिंग में इनपर विचार तक नहीं होता।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Vijay Jain Updated: Sep 4, 2025 15:49
Petrol Diesel Rate

Why Petrol Diesel Rate and Liquor Beer rates not under GST: पेट्रोल-डीजल और शराब-बीयर पर अगर स्पेशल स्लैब वाला टैक्स भी लगाया जाए तो दोनों के दाम काफी कम हो सकते हैं, लेकिन इन्हें GST के दायरे से ही बाहर रखा गया है। केंद्र और राज्य सरकारें दोनों ही इस पर लगने वाले टैक्स से भारी राजस्व कमाती हैं और वे इस राजस्व को आसानी से छोड़ना नहीं चाहती हैं। GST काउंसिल की बैठक में सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं, वहां भी यह प्रस्ताव इसलिए नहीं उठाया जाता क्योंकि राज्यों को चिंता है कि इससे उनका वैट (VAT) से होने वाला राजस्व कम हो जाएगा।

पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स

पेट्रोल और डीजल पर केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकारें वैट लगाती हैं। GST के दायरे में आने से यह टैक्स कम हो जाएगा, जिससे दोनों सरकारों के राजस्व में भारी कमी आएगी। वहीं, अधिकतर राज्यों ने राजस्व में कमी की संभावना को देखते हुए इसे GST के दायरे में लाने से मना कर दिया है। राज्य सरकारें पेट्रोल-डीजल पर अपना वैट लगाकर कीमतों को प्रभावित कर सकती हैं और राजस्व भी कमा सकती हैं। अगर ये वस्तुएं GST के दायरे में आ जाती हैं तो राज्यों का अपने टैक्स के ढांचे पर कंट्रोल कम हो जाएगा।

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पेट्रोल-डीजल पर अधिकतम टैक्स

यदि पेट्रोल-डीजल को GST के अधिकतम स्लैब (40%) में भी लाया जाता है तो भी वर्तमान दर की तुलना में कुल टैक्स कम हो जाएगा, जिससे सरकारों का राजस्व घटेगा। एक तरह से कहा जाए तो GST के लागू होने से पूरे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें एक समान हो सकती हैं, लेकिन केंद्र और राज्यों के लिए अपने राजस्व का बड़ा जरिया छोड़ने के कारण वे इसे अभी तक GST के दायरे में नहीं लाए हैं। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने बताया कि पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाने के लिए GST काउंसिल की सिफारिश जरूरी है। वहीं, GST काउंसिल में अभी तक ऐसा कोई सुझाव या सिफारिश नहीं हुई।

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पिछली GST काउंसिल की बैठक में हो चुकी है चर्चा

पेट्रोलियम मंत्रालय के मुताबिक, पिछली GST काउंसिल की 55वीं बैठक में हवाई जहाज में इस्तेमाल होने वाले ईंधन को GST के दायरे में लाने को लेकर चर्चा जरूर हुई थी लेकिन GST काउंसिल ने भी उस सुझाव को सिरे से खारिज कर दिया था। गौरतलब है कि केंद्र सरकार से जब भी इस मुद्दे पर सवाल पूछा गया कि क्या पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाने को लेकर कोई विचार है तो केंद्र सरकार ने लगातार यही जवाब दिया है कि पेट्रोल और डीजल को GST में लाने का फैसला GST काउंसिल करेगी। वहीं, राज्य भी नहीं चाहते कि पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाया जाए।

शराब और बीयर भी जीएसटी के दायरे में क्यों नहीं?

भारत में शराब और बीयर भी जीएसटी के दायरे में नहीं आती। मौजूदा समय में भारत में शराब पर स्टेट एक्साइज डयूटी और वैट लगता है। एक्साइज डयूटी शराब के निर्माताओं पर लगती है, जबकि शराब-बीयर बेचने वालों को वैट देना पड़ता है। यह रेट अलग-अलग राज्यों के हिसाब से अलग-अलग होते हैं, इसलिए देश के अलग-अलग राज्यों में शराब और बीयर के अलग-अलग रेट होते हैं। शराब-बीयर को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने के कारण ही राज्यों को अपने स्तर पर टैक्स लगाने की छूट मिलती है, जिससे उन्हें राजस्व मिलता है।

शराब और बीयर पर कौन-कौन से टैक्स?

शराब और बीयर पर जीएसटी न होने के कारण राज्य कई अन्य टैक्स लगाते हैं। शराब-बीयर के निर्माण पर लगने वाले उत्पाद शुल्क का बोझ ग्राहकों पर पड़ता है। राज्यों के हिसाब से दरें अलग-अलग होने के कारण इससे अच्छा खास राजस्व मिलता है। कर्नाटक, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्य इस शुल्क से अच्छा-खासा राजस्व अर्जित करते हैं। उत्पाद शुल्क के अलावा वैट भी लगता है। शराब-बीयर की सेल पर वैट की दरें अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती हैं, जिससे क्षेत्रीय कीमतों में असमानता और बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, कर्नाटक शराब पर 20% वैट लगाता है, जबकि महाराष्ट्र देशी शराब पर 25% और विदेशी शराब पर 35% वैट लगाता है।

कब आधे होंगे पेट्रोल-डीजल के दाम?

AICC मीडिया और पब्लिसिटी विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने बताया कि नरेंद्र मोदी और नितिन गडकरी ने जून, 2014 में कहा था कि म्यूनिसिपल वेस्ट से जो एथेनॉल बनेगा, उसके चलते पेट्रोल 55 रुपए/लीटर और डीजल 50 रुपए/लीटर मिलेगा। सितंबर, 2018 में नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार द्वारा पांच प्लांट लगाए जाएंगे, जहां लकड़ी के बूरे और म्यूनिसिपल वेस्ट से एथेनॉल बनाया जाएगा। सच्चाई ये है कि आजतक लकड़ी के बूरे और म्यूनिसिपल वेस्ट से 1 लीटर एथेनॉल भी नहीं बनाया गया। 627 करोड़ लीटर एथेनॉल बना है, इसमें 56% गन्ना और बाकी अनाज इस्तेमाल हुआ है।

इसमें कहीं भी लकड़ी के बूरे और म्यूनिसिपल वेस्ट का इस्तेमाल नहीं हुआ। 1 लीटर एथेनॉल बनाने में करीब 3,000 लीटर पानी की खपत होती है। यानी पर्यावरण को संरक्षित करने का दावा भी जुमला निकला। बाकी- देश की जनता पेट्रोल और डीजल की कीमत तो जान ही रही है।

First published on: Sep 04, 2025 03:49 PM

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