Excessive Chilling Weather Forecast: विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने भविष्यवाणी की है कि इस साल भारत में सर्दी के मौसम में भीषण, कड़ाके की और हाड़ कंपाने वाली ठंड पड़ेगी। जैसे सामान्य से ज्यादा गर्मी पड़ी, सामान्य से ज्यादा बारिश हुई, उसी तरह सामान्य से ज्यादा ठंड पड़ेगी। खासकर मैदानी राज्यों दिल्ली समेत उत्तर भारत में भीषण सर्दी पड़ेगी। पहाड़ी राज्यों में भी अच्छी बर्फबारी होने की संभावना है। समुद्र तटीय इलाकों में बारिश होने से बाकी देश में ठंड का प्रकोप देखने को मिलेगा।
ऐसा इस बार सीजन में ला नीना एक्टिव होने से होगा। ला नीना एक्टिव होने से मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर की सतह ठंडी होगी। उष्णकटिबंधीय वायुमंडल बनेगा, जिससे साइक्लोनिक सर्कुलेशन और बारिश होने की स्थितियों में भी बदलाव आएगा। महासागर से उठने वाली हवाएं भारत से टकराएंगी, जिससे भारत में भी ठंडी हवाएं चलेंगी और सर्दी बढ़ेगी। इस सीजन में करीब 25 साल पुरना रिकॉर्ड टूटने की संभावना है।
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ला नीना एक्टिव होने की 60 प्रतिशत संभावना
ला-नीना पर अमेरिकी एजेंसी NOAA, ऑस्ट्रेलियाई एजेंसी ABM से लेकर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अप्रैल 2024 में ला नीना को लेकर पूर्वानुमान लगाया था। उस पूर्वानुमान के अनुसार ला नीना एक्टिव होने की 85 फीसदी संभावना है, लेकिन मानसून जाने के बाद भी ला नीना एक्टिव नहीं हुआ है, इसलिए नवंबर के महीने में राजधानी दिल्ली में अधिकतम तापमान 30 से 32 डिग्री के बीच बना हुआ है।
वहीं तीनों एजेंसियों ने अब ताजा अनुमान लगाया है कि नवंबर 2024 के आखिर में और दिसंबर की शुरुआत में ला-नीना एक्टिव होने की संभावना 60% है। इसलिए नवंबर के आखिरी हफ्ते तक राजधानी में तापमान 30 से 32 डिग्री के बीच ही बना रहेगा। वहीं मौसम के इन हालातों से इस बार 73 साल में पहली बार अक्टूबर में दिल्ली में गर्मी पड़ने का रिकॉर्ड टूटा है।
The World Meteorological Organization (WMO) currently estimates a 60% probability of a La Niña event developing, with the Climate Prediction Center (CPC) suggesting slightly higher odds as we head into the winter season.
La Niña typically shifts the jet stream northward,… pic.twitter.com/TcTYhPrkik
— Dr. Simona Seastrand, PhD (@SimonaSeastrand) September 11, 2024
1950 से अब तक 3 बार एक्टिव हो चुका ला नीना
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ला-नीना या अल-नीनो की परिस्थतियां तब बनती हैं, जब समुद्र के 2 किनारों पर तापमान घटता और बढ़ता है। ला-नीना एक्टिव होने से भारत में अच्छी बारिश और अच्छी सर्दी होती है। अल-नीनो एक्टिव होने से भीषण गर्मी पड़ती है। WMO महासचिव सेलेस्टे साउलो ने मीडिया में बयान दिया था कि ला नीना और अल नीनो मौसमी परिस्थितियां क्लाइमेंट चेंज का रिजल्ट हैं।
इन दोनों के एक्टिव होने से पूरी दुनिया के तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। मौसमी बारिश और तापमान के पैटर्न पर प्रभाव पड़ रहा है। अब से पहले ला नीना 1954-1955, 1974-1975 और 1988-89 में एक्टिव हुआ था और उस सीजन में भी भारत में भीषण ठंड पड़ी थी, लेकिन इस बार नवंबर में भी गर्मी पड़ रही है तो इस बार भविष्यवाणी के फेल होने के आसार भी बन रहे हैं।