हैदराबाद : तेलंगाना में विधानसभा चुनाव के रुझानों में कांग्रेस पूर्ण बहुमत में आती दिखाई दे रही है। इन रुझानों के नतीजे में बदलने की स्थिति पर बात की जाए तो इस राज्य के गठन के बाद यह पहली बार होगा कि यहां भारत राष्ट्र समिति-BRS (पहले की तेलंगाना राष्ट्र समिति-TRS) के अलावा कोई पार्टी सरकार बनाएगी। इसी के साथ यहां एक नाम खासा चर्चा में रेवंत रेड्डी। यह वह शख्स हैं, जिनके सिर राज्य में कांग्रेस की जीत का सेहरा बांधा जा रहा है। यहां हर कोई जानना चाहता है कि आखिर यह शख्स है कौन? तो आइए, जानते हैं रेवंत रेड्डी के बारे में वो सब, जो जानना चाहिए…
कॉलेज के दिनों में ABVP से जुड़े थे रेवंत रेड्डी
8 नवंबर 1969 को अविभाजित आंध्र प्रदेश के महबूबनगर जिले में जन्मे अनुमुला रेवंत रेड्डी ने एक छात्र नेता के रूप में राजनीति के जहाज में कदम रखा था। हैदराबाद स्थित उस्मानिया यूनिवर्सिटी से संबद्ध एवी कॉलेज से बैचलर ऑफ आर्ट्स (BA) की पढ़ाई के दौरान अनुमुला अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े थे।
राजनीति का सफरनामा
विद्यार्थी जीवन से निकलकर वह तेलुगू देशम पार्टी (TDP) में शामिल होकर 2009 में आंध्र प्रदेश के कोडांगल क्षेत्र से चुनाव जीतकर विधायक बने। 2014 में रेवंत चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली इस पार्टी के विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे। इसके बाद 2017 में अनुमुला रेवंत रेड्डी ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया और अगले ही साल 2018 के विधानसभा चुनाव में जब उन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया तो (तेलंगाना राष्ट्र समिति-(TRS) के प्रत्याशी के मुकाबले हार गए। दरअसल, यहां 2019 में विधानसभा चुनाव होना था, लेकिन तेलंगाना के तत्कालीन मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (KCR) ने एक साल पहले ही विधानसभा को भंग कर दिया और यहां चुनाव की नौबत आ गई थी। हालांकि 2019 में कांग्रेस ने पहले से भी बड़ा दांव खेला तो अनुमुला रेवंत रेड्डी मलकाजगिरि लोकसभा सीट से 10,919 वोटों के अंतर से जीतकर संसद में पहुंच गए। 2021 में कांग्रेस हाईकमान ने अनुमुला रेवंत रेड्डी के कद में बढ़ोतरी करते हुए उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नई जिम्मेदारी दे दी।
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टॉर्च बियरर के रूप में रखते हैं छाप
खास बात यह है कि अनुमुला रेवंत रेड्डी को ‘टॉर्च बियरर’ के रूप में जाना जाता है। जहां तक इसके पीछे की वजह की बात है, इस बारे में लगभग 20 साल से राजनीति कर रहे रेवंत रेड्डी ने बीते दिनों एक मीडिया इंटरव्यू में कहा था कि अपने पॉलिटिकल करियर में पिछले 15 सास से विपक्ष में रहने की वजह से वह जनता से जुड़ सके। बीते दो विधानसभा चुनाव में तेलंगाना में तेलंगाना राष्ट्र समिति (अब BRS) को कोई सीधे तौर पर टक्कर नहीं दे पाया, लेकिन हालिया चुनाव के दौर में हालात बदले। कांग्रेस की रैलियों में जुटी भारी भीड़ ने साबित कर दिया कि इस बार कांग्रेस के चंद्रशेखर राव को राजनीति की पिच पर हैट्रिक नहीं लगाने देंगे। इस बढ़त का श्रेय सिर्फ और सिर्फ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी को ही दिया जा रहा है।
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राहुल-प्रियंका की हर रैली में दिखे रेवंत
खास बात यह है कि चुनाव प्रचार के दौरान ऐसा कोई मौका नहीं रहा, जहां पार्टी के केंद्रीय नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पहुंचे हों तो रेवंत रेड्डी नजर न आए हों। यहां तक कि मुख्यमंत्री पद की दौड़ में वह सबसे आगे माने जा रहे हैं। मतदान के नतीजे आने से ठीक एक दिन पहले शनिवार को ही रेवंत रेड्डी पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचे तो उनके लिए ‘सीएम-सीएम’ के नारे लगाए गए। हालांकि यह अलग बात है कि मुख्यमंत्री बनने की बात पर रेवंत पहले ही साफ कर चुके हैं कि तेलंगाना में उनकी पार्टी 80 से ज्यादा सीटें जीतेगी और इस पद के लिए भी सभी उम्मीदवार योग्य हैं। वक्त बताएगा कि पार्टी का विधायक दल किसे अपना नेता चुनता है।
कैसी है निजी जिंदगी?
जहां तक निजी जिंदगी की बात है, रेवंत रेड्डी का एक भाई और है, जिनका नाम एनुमुला कृष्णा रेड्डी है। रेवंत ने 1992 में कांग्रेसी नेता जयपाल रेड्डी की भतीजी गीता के साथ शादी की थी, जिनसे वह एक बेटी निमिषा रेड्डी के पिता भी हैं।