सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन के लिए आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार कर लिया है। यह फैसला बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया के तहत लिया गया है। हालांकि, कोर्ट और चुनाव आयोग दोनों ने साफ किया है कि आधार कार्ड केवल पहचान पत्र के रूप में इस्तेमाल होगा, न कि इसको नागरिकता साबित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा।
कई लोगों को हो रही थी परेशानी
बिहार में वोटर लिस्ट को अपडेट करने के दौरान कई लोगों को परेशानी हो रही थी क्योंकि उनके पास 11 मान्य दस्तावेजों में से कोई एक नहीं था। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने सुप्रीम कोर्ट में शिकायत की कि बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) आधार कार्ड को स्वीकार नहीं कर रहे थे, जिससे वोटरों को नुकसान हो रहा था। 8 सितंबर 2025 को कोर्ट ने सुनवाई के बाद चुनाव आयोग को आधार को शामिल करने का निर्देश दिया और अब चुनाव आयोग ने इसे मान लिया है।
क्या कहता है फैसला?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, आधार कार्ड को पहचान के लिए वैध माना जाएगा। यह वोटर लिस्ट में शामिल होने के लिए इस्तेमाल हो सकता है। कोर्ट ने साफ किया कि आधार नागरिकता साबित नहीं करता है। यह सिर्फ यह बताता है कि आप कौन हैं, न कि आप भारतीय नागरिक हैं।
चुनाव आयोग आधार की सच्चाई जांचेगा। अगर जरूरत पड़ी तो और दस्तावेज मांगे जा सकते हैं। पहले से मान्य 11 दस्तावेजों में जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, मैट्रिक सर्टिफिकेट आदि शामिल हैं। अब आधार 12वां दस्तावेज बन गया है।
राहत की खबर है यह फैसला
यह फैसला उन लोगों के लिए राहत लेकर आया है जिनके पास अन्य दस्तावेज नहीं हैं। बिहार में 7.24 करोड़ वोटरों में से ज्यादातर ने दस्तावेज जमा कर दिए हैं, लेकिन आधार से बाकी लोग भी वोटर लिस्ट में शामिल हो सकेंगे। हालांकि, फर्जी वोटरों को रोकने के लिए सख्त जांच होगी। अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी।
अगर आप बिहार के वोटर हैं और आपके पास आधार कार्ड है, तो आप इसे वोटर लिस्ट में शामिल होने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें, यह सिर्फ पहचान के लिए है, नागरिकता के लिए नहीं है।