What is the New House of Human Beings: धरती खतरे में है, इसका विनाश हो सकता है। महाप्रलय आने वाली है और धरती पर जीवन खत्म होने के संकेत हैं। धरती जब खत्म होगी तो इंसान का इस ग्रह पर रहना मुश्किल हो जाएगा। आज से साढ़े 6 करोड़ साल पहले भी ऐसा हुआ था और ऐसा फिर से होने की भविष्यवाणी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने की है। ऐसे में इस संभावना से इनकार नहीं कर सकते कि इंसानों को धरती छोड़कर दूसरा घर तलाशना होगा।
जानकारी के लिए बता दें कि वैज्ञानिकों के अनुसार, धरती से मिलते जुलते कई ग्रह अंतरिक्ष में हैं और धरती जैसे किसी एक्सोप्लैनेट में ही जीवन को बसाना होगा। अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ऐसी एक संभावना के चलते मॉक टेस्टकर चुकी है। नासा ने कल्पना की जुलाई 2028 में धरती से एक एस्टेरॉयड टकराएगा। टकराव होने की संभावना 72 फीसदी से भी ज्यादा है तो धरती का विनाश होगा और इस स्थिति में धरती पर बसे अरबों लोग कहां जाएंगे?
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मशहूर वैज्ञानिक कर चुके विनाश का दावा
नासा के जॉन हॉपकिंस अप्लाइड फिजिक्स लैब में यह मॉक टेस्ट हुआ, जिसके लिए दुनियाभर के 25 से ज्यादा संगठनों के करीब 100 एक्सपर्ट्स जुटे। इस मॉक टेस्ट में 13 साल बाद धरती से एस्टेरॉयड की टक्कर हुई तो क्या परिणाम होंगे और बचाव में क्या कदम उठाए जा सकते हैं? 20 जून 2024 को इस मॉक टेस्ट की रिपोर्ट पब्लिश हुई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया कि आज से 66 मिलियन साल पहले जुरासिक ऐज था। तब एक एस्टेरॉयड धरती से टकराया था।
इसके परिणामस्वरूप सबसे बड़े जानवर डायनासोर समेत कई जीव प्रजातियां खत्म हो गई थीं। पेड़-पौधों, वनस्पतियों की किस्में नष्ट हो गई थीं। ऐसा दोबारा भी हो सकता है। बार फिर धरती से एस्टेरॉयड टकरा सकता है और धरती से जानवरों का विनाश हो सकता है। धरती इंसानों के रहने लायक नहीं बचेगी और मानव सभ्यता का विनाश हो जाएगा। मशहूर साइंटिस्ट स्टीफन हॉकिंग ने भी कहा था कि एक दिन धरती और इसके संसाधन खत्म हो जाएंगे।
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चांद पर जीवन-पानी की तलाश इसी वजह से
स्टीफन हॉकिंग ने अपनी किताब ‘ब्रीफ आंसर्स टू द बिग क्वेश्चन’ में धरती और इंसानों के विनाश का जिक्र किया था। उन्होंने अपनी किताब में कई भविष्यवाणियां और दावे भी किए हैं। एक दावा अंतरिक्ष में कोई दुर्घटना होने और उससे धरती का विनाश होने का भी किया गया है। धरती का अत्यधिक दोहन, जलवायु परिवर्तन, एस्टेरॉयड या किसी भी और कारण से धरती पर विनाश का खतरा मंडरा सकता है। ऐसे में इंसानों को अंतरिक्ष में अभी से कोई दूसरा ग्रह बसने के लिए तलाश लिया जाना चाहिए। ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि वैज्ञानिक चांद और मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश धरती का विनाश होने की आशंका के चलते ही तलाश रहे हैं।
आज से 50 साल पहले अपोलो-11 के जरिए जब इंसान ने चांद पर कदम रखा था, तभी से चांद पर इंसानी बस्ती बसाने की चर्चा है। लोग आजकल चांद पर प्लॉट भी खरीदते देखते जाते हैं। हालांकि यह मजाक लग सकता है, लेकिन चांद पर प्लॉट खरीदना सच है। हालांकि धरती की तुलना में 6 गुना हल्का वातावरण और जटिल परिस्थितियों में मानव जीवन चांद पर संभव नहीं, लेकिन वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं। चांद पर पानी मिल गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद की सतह के नीचे बर्फ के रूप में करोड़ों लीटर पानी है, इसलिए वहां जीवन संभव है।
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मंगल ग्रह पर इंसानी बस्ती बनाने की तैयारी भी
अंतरिक्ष वैज्ञानिक चांद के साथ-साथ मंगल ग्रह पर भी पानी और जीवन की तलाश कर रहे हैं, क्योंकि वैज्ञानिकों का दावा है कि कभी अंतरिक्ष में बसे इस लाल ग्रह पर जीवन था। पानी के समुद्र और झरने थे, लेकिन पारिस्थितिकी तंत्र बदलने से मंगल ग्रह बंजर हो गया था। इसलिए नासा अब इस ग्रह पर फिर से पानी और जीवन की तलाश करने में जुटा है। इसके लिए स्पेस एजेंसियों के कई मिशन वहां रिसर्च कर रहे हैं। हालांकि अभी तक मंगल पर इंसानों को नहीं भेजा जा सका है, लेकिन जिस गति से साइंस प्रोग्रेस कर रहा है, एक दिन यह संभव हो जाएगा। इंसान मंगल ग्रह पर जाएगा और उसके बाद ही वहां जीवन और मानव बस्ती बसाने पर विचार किया जा सकता है।
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