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बयानबाजी पर लगेगी लगाम! ऑपरेशन सिंदूर के बाद BJP की बड़ी पहल, नेताओं को दी जाएगी ‘बोलने’ की ट्रेनिंग

BJP Initiative:पिछले कुछ समय से नेताओं के बयानों और कृत्यों से परेशान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब जल्द ही अपने नेताओं को बोलने की ट्रेनिंग देने वाली है। इस दौरान उन्हें बीजेपी की रीति-नीति के बारे में बताया जाएगा, साथ ही यह भी सिखाया जाएगा कि उन्हें कब, क्या और कैसे बोलना है ताकि वे विवादित बयान देने से बच सकें।

Author Reported By : Kumar Gaurav Edited By : Satyadev Kumar Updated: May 28, 2025 13:43
BJP Leaders Speaking Training, PM Modi
बीजेपी नेताओं को मिलेगी बोलने की ट्रेनिंग।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीजेपी नेताओं की लगातार विवादास्पद बयानबाजी से पार्टी नेतृत्व में गहरी नाराजगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कड़ी नसीहत के बाद अब भारतीय जनता पार्टी ने अपने नेताओं को ‘बोलने से पहले सोचने’ की ट्रेनिंग देने का फैसला लिया है। इसके तहत देशभर में विशेष ‘वक्तृत्व कार्यशालाएं’ आयोजित की जाएंगी, जिनमें नेताओं को बताया जाएगा कि किन मुद्दों पर क्या और कैसे बोलना है।

मध्य प्रदेश से होगी शुरुआत

इस प्रशिक्षण अभियान की शुरुआत मध्य प्रदेश से की जा रही है। 14 से 16 जून तक पचमढ़ी में एक विशेष प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा, जिसमें प्रदेश के सभी सांसद, विधायक और मंत्री हिस्सा लेंगे। इस शिविर का उद्घाटन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा करेंगे, जबकि समापन सत्र में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हिस्सा लेंगे।

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विवादों की लंबी फेहरिस्त बनी वजह

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान और उसके बाद बीजेपी नेताओं की जुबान पार्टी के लिए संकट बन गई। खास तौर पर मध्य प्रदेश और हरियाणा के नेताओं ने पार्टी को असहज स्थिति में डाल दिया।

  • मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह ने ऑपरेशन सिंदूर की प्रतीक बनीं कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादास्पद टिप्पणी की।
  • उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने भी सेना को लेकर विवादित बयान दे डाला।
  • हरियाणा से राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा ने पहलगाम की घटना पर ऐसा बयान दिया कि पार्टी नेतृत्व को सार्वजनिक रूप से उनसे माफी मंगवानी पड़ी और दिल्ली तलब करना पड़ा। इन घटनाओं ने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया और विपक्ष को आक्रामक हमला करने का मौका दिया।

मध्य प्रदेश में लगातार बिगड़े बोल से चिंतित है पार्टी

बीजेपी नेतृत्व को यह भी चिंता है कि मध्य प्रदेश जैसे मजबूत गढ़ में ही सबसे ज्यादा विवादित बयान सामने आ रहे हैं। हाल के वर्षों में कई ऐसे बयान और घटनाएं सामने आई हैं, जिनसे पार्टी की सार्वजनिक छवि को गहरी ठेस पहुंची है:-

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  • मंत्री विजय शाह की बदजुबानी।
  • डिप्टी सीएम देवड़ा का बयान।
  • मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल द्वारा थाने और होटल में विवाद।
  • मंत्री प्रहलाद पटेल द्वारा जनता को “भिखारी” कहना।
  • विधायक भूपेंद्र सिंह और मंत्री गोविंद सिंह की सार्वजनिक बयानबाजी।
  • मंत्री नगर सिंह द्वारा विभाग छीने जाने के बाद सरकार-विरोधी बयान।

पार्टी आलाकमान सख्त, तैयार किया गया दिशानिर्देश

बीजेपी के रणनीतिकारों और थिंक टैंक द्वारा ऑपरेशन सिंदूर और उससे जुड़ी संवेदनशील घटनाओं को लेकर एक विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार किया गया है, जिसे सभी राज्य इकाइयों को भेजा जा चुका है। इस दस्तावेज में स्पष्ट किया गया है कि संवेदनशील राष्ट्रीय मुद्दों पर सिर्फ अधिकृत नेता ही बोलें और कोई भी नेता पार्टी लाइन जाने बगैर बयान न दें।

मोदी की चेतावनी के बाद आई सख्ती

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में मुख्यमंत्रियों की बैठक में स्पष्ट तौर पर कहा था कि पार्टी नेताओं को संयमित भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए और किसी भी मुद्दे पर बयान देने से पहले पार्टी की अधिकृत लाइन समझनी चाहिए। इसी निर्देश को अब संगठनात्मक कार्यशालाओं के जरिए जमीनी स्तर पर लागू किया जा रहा है।

आगे से न हो किरकिरी

भाजपा अब यह सुनिश्चित करना चाहती है कि भविष्य में किसी भी नेता के गैर-जिम्मेदाराना बयान से पार्टी की छवि खराब न हो। इसी उद्देश्य से ‘वक्तृत्व कार्यशालाओं’ का आयोजन पूरे देश में होगा, जिसमें यह भी सिखाया जाएगा कि सार्वजनिक मंचों पर बोलने से पहले पार्टी की अनुमति लेना क्यों जरूरी है।

इन सबके जरिए बीजेपी अब स्पष्ट संकेत दे रही है कि अनुशासन से कोई समझौता नहीं होगा। एक तरफ जहां वह ऑपरेशन सिंदूर जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा अभियानों को लेकर गंभीर है, वहीं दूसरी तरफ वह अपनी ‘वाणी नीति’ को लेकर भी अब पहले से ज्यादा सतर्क हो गई है। पचमढ़ी का प्रशिक्षण शिविर पार्टी की इसी नई रणनीति का अहम हिस्सा बनने जा रहा है।

First published on: May 28, 2025 01:43 PM

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