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‘अंतिम यात्रा’ पर भी जातिवाद, आखिर Odisha में शमशान घाट को लेकर क्यों छिड़ा विवाद?

Odisha Crematorium Controversy: इंसान की अंतिम यात्रा जातिवाद में फंस गई है। ओडिशा में शमशान घाट को लेकर विवाद छिड़ा है। अल्टीमेटम तक दे दिया गया है, जानिए मामला...

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Nov 21, 2023 15:32
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Controversial Crematorium
Controversial Crematorium

Odisha Crematorium Controversy Brahmin VS Dalit: इंसान और विवादों का हमेशा से ही नाता रहा है, लेकिन इस बार विवाद की वजह इंसान की ‘अंतिम यात्रा’ है, जो जातिवाद में फंस गई है। दरअसल, ओडिशा में एक शमशान घाट को लेकर विवाद छिड़ा है। ब्राह्मण और दलित आमने-सामने हैं और दलितों ने ब्राह्मणों और शमशान घाट की देखभाल करने वाले निकाय को अल्टीमेटम दे दिया है कि वे अपनी हरकतों से बाज आएं और बोर्ड हटा लें, नहीं तो वे सड़कों पर उतरेंगे। आंदोलन छेड़ेंगे और उसके परिणामस्वरूप जो होगा, उसके लिए सरकार व जिला प्रशासन जिम्मेदार होंगे।

 

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1928 में बना शमशान घाट, निकाय करता संचालन

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ओडिशा के केद्रपाड़ा में नगर पालिका ने हजारीबागीचा इलाके में बले शमशान घाट के एंट्री गेट पर बोर्ड लगा दिया है। इस बार बोर्ड पर लिखा है कि यहां सिर्फ ब्राह्मणों के अंतिम संस्कार होंगे। सरकारी फंड जारी करके शमशान घाट का नवीनीकरण किया गया और इसके बाद नगर पालिका ने शमशान घाट के गेट पर ऑफिशियल बोर्ड भी लगा दिया। तर्क दिया गया कि 1928 में बने शमशान घाट में सिर्फ ब्राह्मणों के अंतिम संस्कार होते हैं। अन्य जातियों के लोग अंतिम संस्कार करने के लिए दूसरे शमशान घाट में जाते हैं। इसका दलितों ने विरोध जताया है और अल्टीमेटम तक दे दिया है।

जातिगत भेदभाव बढ़ाने, अधिकारों का उल्लंघन का आरोप

दलितों ने का कहना है कि 1950 में जाति असमानता को संविधान के तहत गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया था, इसके बावजूद ब्राह्मण आज तक उस प्रथा को जारी रखे हुए हैं। वहीं ओडिशा दलित समाज की जिला इकाई के अध्यक्ष नागेंद्र जेना ने कहा कि मुझे यह जानकर काफी हैरानी हुई कि नगर पालिका काफी समय से केवल ब्राह्मणों के लिए शमशान घाट का रखरखाव कर रही है। वह ऐसा करके कानून तोड़ रही है। जातिगत भेदभाव को बढ़ावा दे रही है। इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ‘केवल ब्राह्मणों’ का शमशान घाट, ऐसा कहना सभी जातियों के लोगों को संविधान के अनुसार मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

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2019 में आए मद्रास हाईकोर्ट के फैसले का हवाला दिया

वहीं केंद्रपाड़ा नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी प्रफुल्ल चंद्र बिस्वाल से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि हां मामला संज्ञान में आया है। हम इसकी जांच कर रहे हैं। कथित जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। बैठक बुलाई गई है, जिसमें शमशान घाट पर फैसला लिया जाएगा। बता दें कि मद्रास उच्च न्यायालय ने 2019 में एक गांव में दलितों के लिए अलग शमशान घाट के लिए जमीन आवंटित करने पर तमिलनाडु सरकार की आलोचना की थी। अदालत ने इसके पीछे तर्क दिया था कि दलितों के लिए एक अलग श्मशान घाट उपलब्ध कराने का मतलब जातिगत असमानता को बढ़ावा देना है।

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Edited By

Khushbu Goyal

First published on: Nov 21, 2023 03:26 PM

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