गृह मंत्री अमित शाह शनिवार को महाराष्ट्र के रायगढ़ पहुंचे। उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की 345वीं पुण्यतिथि के अवसर पर रायगढ़ किले में श्रद्धांजलि अर्पित की। अमित शाह के रायगढ़ जिले के दौरे से पहले छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज संभाजीराजे छत्रपति और उदयनराजे भोसले ने किले में बनी कुत्ते की मूर्ति हटाने की मांग फिर से शुरू कर दी। दरअसल, किले में कुत्ते वाघ्या की मूर्ति लगाई गई है, जिस पर काफी समय से विवाद चला आ रहा है। जानें, क्यों लगाई गई है यह मूर्ति और इसको लेकर क्या है विवाद?
कहा है कुत्ते की मूर्ति?
बताया जाता है कि कुत्ते वाघ्या की मूर्ति मराठा योद्धा राजा के स्मारक के पास स्थित है। एक तरफ जहां महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर विवाद चल रहा है, वहीं अब इस कुत्ते से जुड़ा विवाद भी चर्चाओं में आ गया है। अमित शाह के दौरे से पहले कुत्ते की मूर्ति हटाने की मांग को लेकर शिवाजी के वंशज संभाजीराजे छत्रपति मुख्यमंत्री फडणवीस से भी इसे हटाने की मांग कर चुके हैं।
रायगढ़ के किले में ही छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि भी है। संभाजीराजे का कहना है कि रायगढ़ किले पर कुत्ते का स्मारक छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान है। 2011 में भी यह मुद्दा पहली बार गरमाया था, तब संभाजी ब्रिगेड ने वाघ्या की मूर्ति को वहां से हटा दिया था। हालांकि धनगर समाज ने इसका जमकर विरोध किया, जिसके बाद इस मूर्ति को फिर से स्थापित कर दिया गया।
छत्रपति शिवाजी महाराज जी की माता, जिजाऊ माँसाहेब ने शिवाजी महाराज के हृदय में सेवा, संवेदना और शौर्य के जो बीज बोए थे, वही आगे चलकर हिंदवी स्वराज का संकल्प बने।
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— Amit Shah (@AmitShah) April 12, 2025
क्यों लगाई गई मूर्ति और क्या है विवाद?
रिपोर्ट्स के अनुसार, पहले रायगढ़ के किले में वाघ्या का स्मारक नहीं था। छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज संभाजीराजे छत्रपति और उदयनराजे भोसले का यही कहना है कि इस कुत्ते की मूर्ति का कोई ऐतिहासिक साक्ष्य मौजूद नहीं है। उनके अनुसार, एएसआई का भी मानना है कि इसका कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, इसलिए इसे हटा देना चाहिए।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए संभाजीराजे ने कहा, “मैंने किले से कुत्ते की मूर्ति हटाने की मांग की है और मैं इस पर अडिग हूं। मुझे उम्मीद है कि दौरे के बाद गृह मंत्री अमित शाह कुत्ते की मूर्ति को हटाने की घोषणा करेंगे।”
दावा किया जाता है कि कुत्ता वाघ्या शिवाजी का एक वफादार कुत्ता था और जब 1680 में शिवाजी की मृत्यु हुई थी, तब वह अपनी वफादारी के कारण उनकी जलती चिता में कूद गया था। इस दावे पर संभाजीराजे का कहना है कि इस बात का कोई विश्वसनीय ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है कि कोई कुत्ता शिवाजी महाराज का वफादार था और उनकी चिता में कूद गया था। दशकों तक किसी को भी इस कुत्ते के अस्तित्व के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
कब आया वाघ्या का जिक्र?
संभाजीराजे की मानें तो इसकी शुरुआत 1919 के बाद फैलाई गई एक झूठी कहानी से हुई। उन्होंने कहा कि राम गणेश गडकरी ने 1919 में अपने नाटक राजसंन्यास के माध्यम से इसे फैलाया। यह उनकी कल्पना की उपज थी। बता दें कि राम गणेश गडकरी बॉम्बे प्रेसीडेंसी के एक मराठी कवि, नाटककार और हास्य लेखक थे। वे मराठी साहित्य में परिवर्तन के युग के प्रमुख लेखकों में से एक थे। उनके नाटक के बाद किले में कुत्ते की मूर्ति लगाने की मांग तेज हुई और फिर 1920 में यह मूर्ति स्थापित की गई।
किसने लगवाई मूर्ति?
रिपोर्ट्स के अनुसार, 1906 में इंदौर के राजकुमार तुकोजी होल्कर से दान मिलने के बाद शिवाजी की समाधि के पास वाघ्या की प्रतिमा लगवाई गई। शिवाजी के वंशजों का कहना है कि सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि इस तथाकथित वफादार कुत्ते की मूर्ति, छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति से भी बड़ी है। इसे पहले ही हटा दिया जाना चाहिए।