Chandrayaan 3 Latest Update ISRO: भारत के मून मिशन ‘चंद्रयान-3’ से जुड़ी रोचक जानकारियां सामने आ रही हैं। चंद्रमा के रहस्य को खोलते हुए लैंडर और रोवर कई दिलचस्प डेटा साझा कर रहे हैं। रविवार को चांद के तापमान के बारे में पता चला तो वहीं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने अगले 10 दिनों को चुनौतीपूर्ण बताया है।
हमारे पास समय कम
अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) के निदेशक नीलेश एम.देसाई ने कहा- लैंडिंग के बाद रोवर का मूवमेंट कराना सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। मिशन के तीन मुख्य उद्देश्य हैं- जिसमें सॉफ्ट लैंडिंग, रोवर को नीचे उतारना और पेलोड के एक्सपेरिमेंट से साइंस डेटा शामिल है। फिलहाल तीसरे उद्देश्य पर काम चल रहा है। हमारे पास समय कम है। मिशन के लिए हमारे पास कुल 14 दिन ही हैं। इसके चार दिन पूरे हो चुके हैं बाकी 10 दिनों में हमें काम और एक्सपेरिमेंट करना है। हम समय के खिलाफ दौड़ लगा रहे हैं। हमें 10 दिन में जितना हो सके, उतना काम करना है।
हमें विजिबिलिटी की दिक्कत आ रही है
देसाई ने आगे कहा- हमारे वैज्ञानिक और इंजीनियर दिन-रात लगे हुए हैं। इस बार हमें थोड़ी दिक्कत हो रही है। दरअसल, इस बार हमारे पास जेपीएल का गोल्ड स्टोन अर्थ स्टेशन मौजूद नहीं है। हमें विजिबिलिटी की दिक्कत आ रही है। हम इसके तरीके निकाल रहे हैं कि रोवर को ज्यादा से ज्यादा मूवमेंट कैसे कराया जाए। देसाई के अनुसार, हम चाहते हैं कि एक दिन में रोवर कम से कम 30 मीटर की मूवमेंट करे। इसरो ने कहा है कि अभी तक रोवर का चंद्र की सतह पर 12 मीटर तक मूवमेंट हुआ है। हमारा उद्देश्य एक दिन में कम से कम 30 मीटर तक करना है। इस तरह हम एक दिन में 30 मीटर चलाते हैं तो बाकी के 10 दिनों में हम 300 मीटर तक चलने में सफल हो सकेंगे।
#WATCH | Ahmedabad: Nilesh M. Desai, the Director of the Space Applications Centre (SAC) briefs on the observations from Chandra's Surface Thermophysical Experiment (ChaSTE) payload on Chandrayaan-3's Vikram lander. pic.twitter.com/aVTXgNHRhh
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) August 27, 2023
कुछ पेलोड और उतार पाए तो बोनस होगा
देसाई ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि लैंडर पर चार सेंसर या पेलोड लगे हुए हैं। वो अपना काम कर रहे हैं। रंभा पेलोड प्लाजमा के बारे में जानकारी जुटा रहा है। दूसरा पेलोड चास्टे है। उसके शुरुआती नतीजे सामने आए हैं। सतह पर 50 सेंटीमीटर तक तापमान दर्ज किया गया है। जबकि सतह के आठ मीटर अंदर इसने माइनस 10 डिग्री सेल्सियस तक तापमान रिकॉर्ड किया है। 10 सेंसरों ने इस डेटा को कलेक्ट किया है। चास्टे पेलोड अभी एक ही जगह पर है। डेटा 14 दिनों तक रहेगा जबकि लंबी रात 14 दिनों की होगी। इस दौरान यदि हम कुछ पेलोड और उतार पाए तो यह हमारे लिए बोनस होगा।
चंद्रमा और पृथ्वी की सही दूरी का पता चल सकता है
देसाई ने कहा- बार-बार ये एक्सपेरिमेंट किए जाएंगे। इससे हमें चांद पर आने वाले भूकंप (मून क्वेक) के बारे में पता चल सकेगा। नासा लूनर का रेट्रोरिफ्लेक्टर हमारी मदद कर सकता है। इससे हमें चंद्रमा और पृथ्वी की सही दूरी का पता चल सकेगा। चंद्रमा पृथ्वी से दूर जा रहा है इसकी सच्चाई भी पता चल सकेगी। हमारे एक्सपेरिमेंट से मिनरल्स, फ्रोजन आइस के बारे में भी पता चल सकेगा। चांद से 100 मीटर दूरी पर घूम रहे ऑर्बिटर से भी डेटा का पता चल रहा है।
कहीं लुढ़क न जाए रोवर
देसाई के मुताबिक, रोवर को अलग-अलग जगह पर घुमाकर रेस की जा रही है। कठिन रात के बाद टेम्प्रेचर माइनस 120 से 150 तक जा सकता है। इस दौरान हमें इलेक्ट्रॉनिक्स में दिक्कतें आ सकती हैं। हम इस पर काम कर रहे हैं। ये देखने वाली बात होगी कि हम कितना सफल होंगे। हमें रोवर को घुमाने के दौरान ये भी सावधानी रखनी पड़ती है कि कहीं वह गिर न जाए और क्रेटर के अंदर न चला जाए। हम एक बार में पांच मीटर तक मूवमेंट करा पाते हैं। ऐसे पांच से छह बार चलाएं तो इसे कर सकते हैं। ये डेटा कलेक्शन पहली बार हो रहा है।