Central Investigating Agencies: भारत में प्रवर्तन निदेशालय (ED), केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) तीन प्रमुख केंद्रीय जांच एजेंसियां हैं, जो विभिन्न प्रकार के अपराधों की जांच करती हैं। हालांकि, इनका कार्यक्षेत्र, अधिकार और केस आवंटन की प्रक्रिया एक-दूसरे से काफी अलग होती है। इन सभी एजेंसियों को एक्शन लेने के लिए भी अपने अधिकार में आने वाले डिपार्टमेंट से इजाजत लेनी पड़ती है। जानिए इन तीनों एजेंसियों की शुरुआत कब और क्यों की गई थी?
ED कैसे काम करती है?
ED की स्थापना 1 मई, 1956 को हुई और इसके एक साल बाद 1957 में इसका नाम ‘प्रवर्तन निदेशालय’ रखा गया। यह आर्थिक अपराधों और विदेशी मुद्रा उल्लंघन से संबंधित मामलों की जांच करने के लिए बनाया गया है। इसके अधिकारों की बात करें तो ED स्वतः संज्ञान (Suo moto) नहीं ले सकती है। इसके लिए इसको CBI या राज्य पुलिस द्वारा दर्ज FIR के आधार पर केस दर्ज करना होता है। यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आता है। इसका मुख्य ऑफिस दिल्ली में है। वहीं, कई राज्यों में भी क्षेत्रीय ऑफिस मौजूद हैं।
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CBI किन मामलों की करती है जांच?
CBI की स्थापना 1941 में विशेष पुलिस स्थापना के रूप में हुई थी। उस समय यह एजेंसी भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराध और गंभीर अपराधों की जांच किया करती थी। इसके अलावा ये इंटरपोल के लिए भारत की नोडल एजेंसी भी है। CBI को किसी राज्य में जांच करने के लिए उस राज्य की इजाजत लेनी पड़ती है। CBI को अक्सर किसी भी हाई प्रोफाइल या पेचीदा मामले की जांच में शामिल किया जाता है। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अधीन काम करता है।
NIA इन दोनों एजेंसियों से कैसे अलग?
इसी तरह NIA की स्थापना 2009 में हुई। मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद देश की सुरक्षा को देखते हुए इस एजेंसी को लाने की जरूरत महसूस हुई। यह एजेंसी देश में होने वाली आतंकी गतिविधियों की जांच करती है। प्रमुख काम आतंकवादी हमले से निपटना या नेशनल सिक्योरिटी से जुड़े मसले हैं। NIA फिलहाल पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच कर रही है।
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