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‘हमें बदले में दुश्मनी मिलती है…,’ शांगरी-ला डायलॉग में CDS अनिल चौहान ने खोली पाकिस्तान की पोल

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान ने शांगरी-ला-डायलॉग को संबोधित करते हुए कहा कि अब भारत-पाकिस्तान संबंधों पर हम बिना किसी रणनीति के काम नहीं कर रहे हैं। ताली बजाने के लिए दो हाथों की जरूरत होती है।

Author Edited By : Rakesh Choudhary Updated: May 31, 2025 10:47
CDS Anil Chauhan Shangri-La Dialogue
CDS Anil Chauhan

ऑपरेशन सिंदूर में धूल चटाने के बाद भारत कुटनीतिक मोर्चे पर लगातार पाकिस्तान की पोल खोल रहा है। भारत के सात डेलिगेशन दुनियाभर के देशों में पाकिस्तान और आतंकियों के गठजोड़ को बेनकाब कर रहे हैं। इस बीच चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) अनिल चौहान सिंगापुर में शुरू हुए शांगरी-ला-डायलॉग 2025 में भाग लेने के पहुंचे हैं। शांगरी-ला-डायलॉग को दुनिया के सबसे बड़े रक्षा मंचों में से एक माना जाता है। इसमें 40 से ज्यादा देशों के सैन्य अधिकारी हिंद और प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियों पर चर्चा कर रहे हैं।

पाकिस्तान हर पैमाने पर हमसे आगे था

सीडीएस अनिल चौहान ने सिंगापुर में शांगरी-ला-डायलॉग को संबोधित करते हुए कहा कि अब भारत-पाकिस्तान संबंधों पर हम बिना किसी रणनीति के काम नहीं कर रहे हैं। जब हमने स्वतंत्रता प्राप्त की तो पाकिस्तान हर पैमाने पर हमसे आगे था सामाजिक, आर्थिक, प्रति व्यक्ति जीडीपी। आज भारत हमारी अधिक विविधता के बावजूद सभी मोर्चों, आर्थिक प्रदर्शन, मानव विकास और सामाजिक सद्भाव पर आगे है। यह संयोग से नहीं हुआ यह दीर्घकालिक रणनीति का परिणाम है।

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कूटनीतिक रूप से हमने 2014 की तरह ही संपर्क किया है जब पीएम ने नवाज शरीफ को आमंत्रित किया था। लेकिन ताली बजाने के लिए दो हाथों की जरूरत होती है। अगर हमें बदले में केवल दुश्मनी मिलती है, तो अभी अलगाव ही एक अच्छी रणनीति है।

महासागर हमारी नियति है

उन्होंने हिंद और प्रशांत क्षेत्र में भारत की स्थिति पर बात करते हुए कहा कि हमारी भू-राजनीतिक वास्तविकता का मतलब है कि हम चीन के साथ तनाव के कारण उत्तर की ओर नहीं बढ़ सकते हैं, न ही हम म्यांमार में अस्थिरता के कारण पूर्व की ओर बढ़ सकते हैं। हम राजनीतिक रूप से मध्य और पश्चिम एशिया से जुड़े हुए हैं, लेकिन भौगोलिक रूप से कटे हुए हैं। इसलिए, समुद्र ही हमारा एकमात्र मार्ग है। महासागर न केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारी नियति है।

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स्वदेशी हथियारों पर क्या बोले सीडीएस?

वहीं स्वदेशी हथियार प्रणाली पर बात करते हुए सीडीएस ने कहा कि हमने न केवल आकाश मिसाइल प्रणाली जैसे स्वदेशी प्लेटफ़ॉर्म का प्रभावी ढंग से उपयोग किया है, बल्कि हमने विदेशी विक्रेताओं पर निर्भर हुए बिना वायु रक्षा के लिए अपना स्वयं का नेटवर्किंग इंफ्रास्ट्रक्चर भी बनाया है। रक्षा आधुनिकीकरण पर, हम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। शुरुआत में यह मुश्किल था लेकिन आत्मनिर्भर भारत जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से यह प्रक्रिया शुरू हो गई है।

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First published on: May 31, 2025 10:43 AM

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