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जिनपिंग-पुतिन ने ब्रिक्स समिट से क्यों किया किनारा? समझें इससे भारत को क्या लाभ?

Xi-Putin skips BRICS: पीएम मोदी ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने के लिए ब्राजील के रियो शहर पहुंच चुके हैं। बता दें पूरी दुनिया की नजर इस बार भारत पर रहेगी क्योंकि चीन और रूस इस बार समिट में फिजिकली मौजूद नहीं होंगे। ऐसे में भारत की उपयोगिता अपने आप में बड़ी महत्वपूर्ण है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Rakesh Choudhary Updated: Jul 6, 2025 09:43
BRICS Summit 2025
ब्रिक्स समिट 2024 में पीएम मोदी के साथ पुतिन और जिनपिंग (Pic Credit-Social Media X)

BRICS Summit 2025: पीएम मोदी ब्रिक्स समिट में भाग लेने के लिए ब्राजील के शहर रियो पहुंच चुके हैं। इस बार की ब्रिक्स बैठक इसलिए खास है क्योंकि पहली बार इस बैठक में रूस और चीन के प्रमुख शामिल नहीं होंगे। ऐसे में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी। शी जिनपिंग की गैरमौजूदगी हर किसी को हैरान कर रही है। क्योंकि इससे पहले कभी भी जिनपिंग ब्रिक्स से दूर नहीं रहे हैं। ब्रिक्स की यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब पूरी दुनिया में ट्रंप के टैरिफ को लेकर कोहराम मचा हुआ है।

शी जिनपिंग की जगह इस बार चीन का प्रतिनिधित्व चीन के पीएम ली कियांग करेंगे। हालांकि दक्षिण अफ्रीका के पीएम सिरिल रामाफोसा इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे। ऐसे में भारत के पास मौका है सम्मेलन का केंद्र बिंदु बनने का। चीन और रूस की गैरमौजूदगी में भारत के पीएम मोदी को प्रमुखता मिलेगी। ऐसे में कुटनीतिक तौर पर यह भारत के लिए बड़ा मौका होगा।

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जिनपिंग ने क्यों किया किनारा?

चीन घरेलू मोर्चे पर कई आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है। सबसे बड़ी समस्या टैरिफ को लेकर है। टैरिफ पर ट्रंप द्वारा दी गई टाइमलाइन अब खत्म हो चुकी है। ऐसे में ट्रेड वॉर को लेकर चीन की नीति निर्धारण एक बड़ी समस्या है। इसके अलावा कुछ अन्य वजहें भी हैं। जिनपिंग ने अपने करीबी सहयोगी ली कियांग को इस सम्मेलन में भेजा है। जोकि यह संकेत है कि वह इस समिट की उपेक्षा नहीं कर रहा है।

वर्चुअली जुड़ेंगे पुतिन

चीन के अलावा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इस कार्यक्रम में मौजूद नहीं होंगे। हां वे वर्चुअली इस कार्यक्रम से जुड़ेंगे। इससे पहले पुतिन 2023 में भी वर्चुअली जुड़ेंगे। पुतिन की नहीं आने की बडी वजह भी है। पुतिन को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने युद्ध अपराधी घोषित कर रखा है। वहीं ब्राजील अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का सदस्य हैं ऐसे में अगर पुतिन वहां पर आते हैं तो ब्राजील को उसे अरेस्ट करना पड़ेगा।

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जी7 से होती है तुलना

ब्रिक्स का विस्तार अब एशिया और अफ्रीका से बाहर भी हो चुका है। 2024 में पांच और नए देशों को इसका सदस्य बनाया गया था। इसमें ईरान, इथोपिया, इंडोनेशिया, मिस्त्र और इथोपिया शामिल है। वहीं 2023 में यूएई और सऊदी अरब इसके सदस्य बने थे। ऐसे में अब इसकी तुलना जी7 से की जाती है। हालांकि अब देखना यह है कि इसमें भारत अपनी भूमिका को कैसे देखता है।

भारत को क्या लाभ?

चीन और रूस की गैरमौजूदगी में भारत को एक बार फिर ग्लोबल साउथ की आवाज बनने का मौका मिलेगा। इसके अलावा साउथ एशिया में पावर बैलेंस के लिए जाना जाता है। जिसमें पश्चिम और रूस-चीन प्रमुखतया शामिल हैं। वहीं भारत की छवि एक स्थिर, लोकतांत्रिक और विश्वसनीय देश की है। इसके अलावा भारत ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहलगाम हमले को लेकर ब्रिक्स समिट में जॉइंट स्टेटमेंट जारी करवा सकता है। इससे पहले शंघाई समिट में आतंकवाद पर साझा बयान नहीं आने से भारत ने जॉइंट स्टेटमेंट साइन करने से इनकार कर दिया था।

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First published on: Jul 06, 2025 09:37 AM

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