कुमार गौरव, नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है। इसके बाद बीजेपी-कांग्रेस समेत अन्य दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं। चुनावी तैयारियों के तहत बीजेपी ने कमजोर बूथ की संख्या को लेकर अपनी नीति में बदलाव किया है। जानकारी के अनुसार, राज्य के दफ्तर और केंद्रीय कार्यालय में इसके लिए डेडिकेटेड कॉल सेंटर बना दिया गया है। वहीं एक एप भी तैयार की गई है।
जिस पर डेटा रीयल टाइम में अपलोड किया जा रहा है। कॉल सेंटर से जमीन पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं से एप पर अपलोड होने वाले फीडबैक और डेटा को वेरिफाई किया जा रहा है। फीडबैक में सांसदों और एमएलए की शिकायत भी दर्ज की जा रही है।
90,000 हुई कमजोर बूथ की संख्या
जानकारी के अनुसार, पहले 73000 कमजोर बूथ तय किए गए थे। अब इसकी संख्या बढ़कर 90,000 कमजोर बूथ हो गई है। सांसद, विधायक के अलावा 40,000 कार्यकर्ताओं को कमजोर बूथ पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
लोकसभा सांसद और एमएलए अपने इलाके के कमजोर बूथ पर काम कर रहे हैं, जबकि हारे हुए लोकसभा सांसद विधायक भी अपने इलाके के कमजोर बूथ पर काम कर रहे हैं। राज्यसभा सांसदों और एमएलसी को अलग-अलग इलाके में बूथ अलॉट किया गया है जिस पर काम करने की जिम्मेदारी दी गई है।