बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा द्वारा सुप्रीम कोर्ट एवं देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से भारतीय जनता पार्टी ने किनारा कर लिया। इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने स्पष्ट किया कि निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा द्वारा देश की न्यायपालिका और मुख्य न्यायाधीश को लेकर दिए गए बयानों से पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने इन बयानों को सांसदों की व्यक्तिगत राय बताते हुए पार्टी की आधिकारिक स्थिति से स्पष्ट रूप से भिन्न बताया।
जेपी नड्डा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ऐसे बयानों से न तो कोई इत्तेफाक रखती है और न ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है। हम इन बयानों को सिरे से खारिज करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा हमेशा से ही न्यायपालिका का सम्मान करती आई है और उसके आदेशों एवं सुझावों को सहर्ष स्वीकार करती है। भाजपा अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि सर्वोच्च न्यायालय और अन्य सभी अदालतें देश के लोकतंत्र का अभिन्न अंग हैं एवं संविधान की रक्षा की मजबूत आधारशिला हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी ने हमेशा संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा को बनाए रखने का कार्य किया है।
यह भी पढे़ं : ‘जमीन माफियाओं ने बहुत मलाई खाई’, राज्यसभा में जेपी नड्डा ने बताया- वक्फ संशोधन बिल का मूल मंत्र
नड्डा ने बयान देने वालों को दिए ये निर्देश
नड्डा ने यह भी बताया कि उन्होंने सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा समेत सभी पार्टी नेताओं को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे ऐसे बयान देने से बचें, जो न्यायपालिका या संविधानिक संस्थाओं की प्रतिष्ठा पर प्रभाव डाल सकते हैं।
जानें क्या है पूरा मामला?
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट पर धार्मिक विवादों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। इसी तरह उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने भी न्यायपालिका से जुड़े कुछ मामलों पर विवादित टिप्पणी की थी, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई।
विपक्ष ने बीजेपी पर साधा निशाना
इन बयानों को लेकर विपक्षी दलों ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि पार्टी न्यायपालिका को दबाव में लेने की कोशिश कर रही है। इसके जवाब में भाजपा नेतृत्व ने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि ये टिप्पणियां व्यक्तिगत थीं और पार्टी की नीति या विचारधारा से उनका कोई संबंध नहीं है।
यह भी पढे़ं : ‘सड़क बन गई तो पुलिस…’, लालू प्रसाद यादव पर जेपी नड्डा का हमला; कार्यकर्ताओं से की ये अपील
भाजपा अध्यक्ष की ओर से जारी यह बयान पार्टी की अधिकारिक स्थिति को स्पष्ट करता है। साथ ही इस बात का संकेत भी देता है कि पार्टी किसी भी संवैधानिक संस्था के सम्मान में कोई समझौता नहीं करेगी। ऐसे समय में जबकि देश के सर्वोच्च न्यायालय की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर लगातार बहस हो रही है, भाजपा का यह रुख सियासी दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।