बिहार चुनाव से पहले स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप मे मान्यता देने का आदेश दिया है। इससे बिहार के लाखों मतदाताओं को फायदा होगा, वोटर आईडी और आधार कार्ड को मान्यता न होने की वजह से जो वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए अपने पुराने दस्तावेज नहीं दिखा पा रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से अपने अधिकारियों को आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार करने के बारे में निर्देश जारी करने को कहा है।
नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा आधार
बिहार एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट करते हुए कोर्ट ने साफ किया है कि एसआईआर प्रक्रिया में मतदाताओं को शामिल करने के लिए पहचान के उद्देश्य से आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज़ के रूप में माना जाना चाहिए। अधिकारियों को आधार कार्ड की प्रामाणिकता और वास्तविकता की पुष्टि करने का अधिकार होगा। इसे नागरिकता के प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
यह भी पढ़ें: बिहार चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन की बढ़ीं मुश्किलें, तेजस्वी-राहुल के सामने खड़ी हुई नई चुनौती
वोट लिस्ट से कटे हैं 65 लाख नाम
बिहार चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने पूरे प्रदेश में SIR प्रक्रिया कराई थी। इसके बाद 1 अगस्त को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की थी। इसमें आयोग ने 65 लाख वोट काटे थे। विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाकर कई प्रदर्शन किए थे। यहां तक संसद का पूरा मानसून सत्र भी इसी विषय पर हंगामे की भेंट चढ़ा था। इसको लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार के 16 जिलों में वोटर अधिकार यात्रा भी निकाली थी। हालांकि चुनाव आयोग ने ड्रॉफ्ट वोटर लिस्ट में दावा और आपत्ति दर्ज कराने के लिए 1 सितंबर तक का समय दिया था। इसके बाद चुनाव आयोग फाइनल वोटर लिस्ट जारी की जाएगी।
यह भी पढ़ें: ‘बिहार बंद बुलाकर एक वार्ड तक बंद नहीं करा पाए’, तेजस्वी यादव का BJP पर जोरदार हमला