बिहार चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) प्रक्रिया में वैध मतदाता बनने के लिए अब आधार कार्ड भी मान्य होगा। अभी तक आधार कार्ड और वोटर आई़डी को छोड़कर 11 दस्तावेजों को मान्यता दी जा रही थी। अभी तक आधार कार्ड को मान्यता नहीं मिलने से विपक्षी पार्टी बड़े स्तर पर विरोध कर रही है। SIR के विरोध में संसद का पूरा मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया।
समीक्षा जल्द पूरी करने के लिए दिया निर्देश
बिहार में चुनाव आयोग के एसआईआर अभियान पर अधिवक्ता बरुण सिन्हा ने कहा कि चुनाव आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय में अपनी स्थिति रिपोर्ट पेश की है। कोर्ट ने बिहार के सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे अपने बीएलओ को चुनाव आयोग के साथ सहयोग करने का निर्देश दें ताकि यह समीक्षा जल्द पूरी हो सके।
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क्या था पूरा मामला?
इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसमें केवल वैध मतदाताओं को भाग दिलाने के लिए चुनाव आयोग ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) कराने का फैसला लिया है। इस प्रक्रिया में मतदाता बनने के लिए सभी को एक फॉर्म भरना था। फॉर्म की सत्यता की जांच के लिए आयोग ने पेन कार्ड, मार्कशीट जैसे 11 दस्तावेजों की सूची जारी की थी, जिसमें से कोई एक दस्तावेज जमा करके फॉर्म की सत्यता साबित की जानी थी। लेकिन दस्तावेजों की इन सूची में आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड को मान्यता नहीं मिली थी। इसकी वजह से विपक्ष ने काफी विरोध किया था।
65 लाख मतदाताओं के हटे नाम
चुनाव आयोग ने गत 1 अगस्त को बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी की थी। इसमें 65 लाख मतदाताओं के नाम काटे गए हैं। हटाए गए नामों में मृत, दो जगह रजिस्टर मतादाता जैसे वोटर शामिल हैं।
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