Ayodhya Ram Mandir Inauguration (अमर देव पासवान) आसनसोल: अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देशभर में जश्न का माहौल है। 22 जनवरी को पीएम मोदी के साथ मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। जिसके बाद मंदिर के दरवाजे सभी भक्तों के लिए खुल जाएंगे। इस समारोह में शामिल होने के लिए दुनिया भर से मेहमान आएंगे। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण पत्र उन लोगों को भी दिया गया है, जो राम मंदिर के आंदोलन से जुड़े हुए थे। कोलकाता के अभय बर्णवाल को भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण पत्र भेजा गया है। निमंत्रण पत्र मिलने के बाद अभय बर्णवाल की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है, वह जी-जान से अयोध्या जाने की तैयारियों जुटे हुए है।
अभय बर्णवाल की खुशी का ठिकाना नहीं
बता दें कि, राम मंदिर के आंदोलनकारियों की लिस्ट में पश्चिम बंगाल के सरद कोठारी, राजकुमार कोठारी और अभय बर्णवाल शामिल हैं, जो कोलकाता के बड़ा बाजार के निवासी हैं। राम मंदिर आंदोलन में सरद कोठारी (20) और राजकुमार कोठारी (22) की मौत हो गई थी। वहीं, अभय बर्णवाल के पैर में गोली लगी थी। राम मंदिर आंदोलन में जान गवाने वाले सरद कोठारी और राजकुमार कोठारी के परिवार और अभय बर्णवाल को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण पत्र भेजा गया। अभय बर्णवाल ने बताया कि निमंत्रण पत्र मिलने से वह इतने खुश हैं कि वह अपनी खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं। उनका कहना है कि उन्हें यह निमंत्रण पत्र खुद श्रीराम ने दिया है। अभय ने कहा कि भगवान राम त्रेता युग में 14 वर्षों के लिए वनवास गए थे और आज श्रीराम 500 वर्ष वनवास के बाद अयोध्या वापस आ रहे हैं।
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आंदोलन के दौरान पैर में लगी थी गोली
उन्होंने बताया कि 30 अक्टूबर 1990 को वह हजारों की संख्या में कार सेवकों के साथ अयोध्या पहुंचे। जहां वे अपने साथियों के साथ विवादित स्थल की तरफ बढ़े और गुम्बद पर चढ़कर भगवा लहरा दिया। इसके बाद गोलियां चलने लगीं, जिसमें कई लोगों को गोली लगी। उन्हें भी पैर में गोली लगी और वे जमीन पर गिर गए। इसके बाद सभी कार सेवकों के साथ उन्हें फ़ैजाबाद अस्पताल भर्ती करवाया गया। यहां इलाज शुरू होने से पहले अभय ने डॉक्टर से कहा कि वे श्रीराम के लिए आए थे, अगर वे ठीक हो गए, तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर ठीक नहीं हुए, तो वे श्रीराम के पास चले जाएंगे। इसके बाद अभय को डॉक्टर ने जवाब दिया और कहा कि आपको श्रीराम ही बचाएंगे। इसके बाद बेहोश कर उनका इलाज शुरू किया गया। जब वे होश आए तो उनके सामने उनके पिता खड़े थे, जिन्होंने उन्हें शाबाशी दी।