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कौन है अब्दुल करीम टुंडा? 1993 सीरियल बम ब्लास्ट केस में टाडा कोर्ट सुनाएगी फैसला

1993 Serial Bomb Blast Case : देश में 1993 सीरियल बम ब्लास्ट मामले में फैसले का दिन आ गया। अजमेर की टाडा कोर्ट ने 23 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत आज आरोपियों के खिलाफ अपना आदेश सुनाएगी। इस मामले में आतंकी अब्दुल करीम टुंडा मुख्य आरोपी है।

Edited By : Deepak Pandey | Feb 29, 2024 06:30
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Abdul Karim Tunda
आतंकी टुंडा के खिलाफ टाडा कोर्ट आज सुनाएगी फैसला।

1993 Serial Bomb Blast Case (केजे श्रीवत्सन) : अयोध्या में बाबरी विध्वंस की बरसी पर करीब 31 साल पहले देश के 5 शहरों में हुए सिलसिलेवार बम धमाके के मामले में अजमेर की टाडा कोर्ट गुरुवार को अपना फैसला सुनाएगी। इस मामले में आतंकी अब्दुल करीम टुंडा मुख्य आरोपी है, जिसे साल 2013 में नेपाल से गिरफ्तार किया गया था। पिछले साल उसे अजमेर लाया गया था, तब से वह अजमेर की जेल में ही कैद है। देश में तीन टाडा अदालत है, जिनमें से एक अजमेर टाडा कोर्ट भी है। अजमेर की टाडा कोर्ट में उत्तर भारत से जुड़े ज्यादातर मामलों की सुनवाई होती है।

काल दिन के रूप में मनाकर 6 दिसंबर 1993 को देश के 5 बड़े शहरों को बम धमाकों से दहलाने वाले मामले में 29 फरवरी को अजमेर की टाडा अदालत का फैसला आएगा। लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई की ट्रेनों में ये सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। अजमेर की टाडा कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई। 570 गवाहों के बयान और दोनों पक्षों की बहस के बाद कोर्ट ने 23 फरवरी को आदेश सुरक्षित रख लिया था।

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तीन आतंकियों के खिलाफ आएगा फैसला

मामले का मुख्य आरोपी आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा, इरफान, हमीमुद्दीन जेल में बंद है। मामले की जांच करते हुए एनआईए ने नेपाल बॉर्डर से टुंडा को गिरफ्तार किया था। उसे पिछले साल 24 सितंबर को उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद जेल से अजमेर लाया गया था। टुंडा लश्कर जैसे कुख्यात आतंकी गिरोह से जुड़ा था। साल 1985 में अब्दुल करीम टोंक जिले की एक मस्जिद में जिहाद मीटिंग के दौरान पाइप गन चलाया था। इस दौरान गन फटने से उसका हाथ उड़ गया था, तबसे उसके नाम से आगे टुंडा शब्द जुड़ गया।

लश्कर-ए-तैयबा के संपर्क में था टुंडा

उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में स्थित पिलखुवा में रहकर बड़ाई का काम करने वाले वाले टुंडा अपने रिश्तेदारों की हत्या का बदला लेने के लिए 1980 से ही आतंकी संघटनों से संपर्क में आ गया था। इसी वक्त उसने पाकिस्तान की एजेंसी आईएसआई से भी ट्रेनिंग ले ली और लश्कर-ए-तैयबा के संपर्क में आ गया। देश भर में उसके खिलाफ 33 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिसमें 40 बम धमाके कराने का भी आरोप है।

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देश के 5 बड़े शहरों में 6 दिसंबर 1999 को हुआ था सीरियल ब्लास्ट

6 दिसंबर 1993 को ट्रेनों में विस्फोट के वक्त करीम टुंडा लश्कर का विस्फोटक विशेषज्ञ था। मुंबई के डॉक्टर जलीस अंसारी और अपने अन्य साथियों के साथ टुंडा ने ‘तंजीम इस्लाम उर्फ मुसलमीन’ संगठन बनाकर बाबरी विध्वंस का बदला लेने के लिए 1993 में मुंबई, लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद और सूरत में ट्रेनों में बम धमाके किए थे। उस पर 1996 में दिल्ली में पुलिस मुख्यालय के सामने भी बम धमाके का आरोप भी है। इसके बाद देश की सुरक्षा एजेंसियों ने उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया। खास बात यह भी है कि साल 2001 में संसद पर हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से जिन 20 आतंकियों के प्रत्यर्पण की मांग की थी, उसमें टुंडा का भी नाम शामिल था।

First published on: Feb 29, 2024 06:30 AM

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