Minister of Earth Sciences: कैबिनेट फेरबदल के तहत केंद्रीय कानून मंत्री के पद से हटाए जाने के एक दिन बाद किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को इसे नियमित और सामान्य प्रक्रिया बताया। उन्होंने ये भी कहा कि ये प्रधानमंत्री के विजन का हिस्सा है न कि उनके लिए किसी तरह की कोई सजा।
रिजिजू ने कहा कि ये ट्रांसफर की एक नियमित प्रक्रिया है। यह प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण है। किसी को जिम्मेदारी लेनी होगी। कोई गलती नहीं हुई है। मेरे खिलाफ बोलना विपक्ष का कर्तव्य है, उन्हें बोलने दें। रिजिजू शुक्रवार को पूर्वाह्न 11 बजे राष्ट्रीय राजधानी के लोधी रोड स्थित पृथ्वी भवन में पृथ्वी विज्ञान मंत्री का पदभार ग्रहण करने के बाद मीडिया से बात कर रहे थे।
#WATCH ये मंत्रालय बहुत उपयोगी मंत्रालय है और यहां पर बहुत कुछ काम कर सकते हैं। प्रधानमंत्री जी का भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का जो सपना है उसमें मैं देख सकता हूं कि इस मंत्रालय का बहुत बड़ा योगदान होगा। मैं प्रधानमंत्री का धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होंने मुझे अलग-अलग… pic.twitter.com/Rf0B73wCg8
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 19, 2023
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बता दें कि आम लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले गुरुवार को कैबिनेट में फेरबदल कर किरेन रिजिजू को कानून मंत्री के पद से हटा दिया गया। रिजिजू की जगह अर्जुन राम मेघवाल को कानून मंत्री बना दिया गया है। बता दें कि किरेन रिजिजू को पिछले साल कैबिनेट के दर्जे के साथ कानून मंत्रालय में प्रमोट किया गया था।
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केंद्र में सत्तारुढ़ बीजेपी के भरोसेमंद माने जाने के बावजूद रिजिजू को इस साल कैबिनेट फेरबदल में अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में ट्रांसफर कर दिया गया था।
रिजिजू ने नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना की थी
कानून मंत्री के रूप में रिजिजू ने बार-बार न्यायपालिका के खिलाफ बयान दिए और नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना की। उनके बयानों ने न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच अक्सर खींचतान पैदा कर दी थी। भले ही उन्होंने खुद स्पष्ट किया कि देश में कोई न्यायपालिका बनाम सरकार की लड़ाई नहीं है, लेकिन उनके बयान कुछ और ही इशारा करते हैं।
2021 में लोकसभा को संबोधित करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा था कि उच्च न्यायपालिका में नियुक्तियों के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिशों को केंद्र आंख बंद करके स्वीकार नहीं कर सकता है। पिछले साल सितंबर में एक कार्यक्रम में उन्होंने कॉलेजियम सिस्टम पर फिर से विचार करने की बात कही थी।
बाद में अक्टूबर में उन्होंने फिर से कॉलेजियम प्रणाली को अपारदर्शी कहा। उन्होंने दावा किया कि न्यायाधीश अक्सर यह तय करने में व्यस्त रहते हैं कि अगला न्यायाधीश कौन होगा और इसके परिणामस्वरूप, न्याय देने का प्राथमिक कार्य प्रभावित होता है।
कानून मंत्री ने कहा, “मैं जानता हूं कि देश के लोग जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली से खुश नहीं हैं। अगर हम संविधान की भावना का पालन करते हैं, तो जजों की नियुक्ति सरकार का काम है।”
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