Bangladesh Political Crisis : राजनीतिक संकट से गुजर रहे बांग्लादेश में हालात इस समय बेगद गंभीर हैं। लंबे समय तक इस देश की कमान संभालने वाली शेख हसीना ने सोमवार को सेना के दबाव में आकर इस्तीफा दे दिया था और इसी के साथ देश भी छोड़ दिया था। इस समय वह भारत में हैं। उधर, बांग्लादेश में नई सरकार के गठन की तैयारियां चल रही हैं। हालांकि, स्थिति अभी भी नियंत्रण में नहीं है। रिपोर्ट्स के अनुसार वहां हिंसा और अराजकता का माहौल अभी भी बना हुआ है। इस बीच हम आपको बताने जा रहे हैं साल 1971 की उस लड़ाई के बारे में जिसमें पाकिस्तान के 2 टुकड़े हो गए थे। न्यूज24 की एडिटर इन चीफ अनुराधा प्रसाद के साथ जानिए बांग्लादेश के अस्तित्व में आने की कहानी।
बांग्लादेश में ऐसा कोहराम मचा कि वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर मुल्क छोड़ना पड़ा । प्रदर्शनकारियों ने ढाका में प्रधानमंत्री आवास पर कब्जा कर लिया । बांग्लादेश के जनक शेख मुजीर्बुरहमान की प्रतिमा तोड़ी गई, उसी बंगबंधु की बेटी हैं शेख हसीना। असंतोष का ट्रिगर पॉइंट बना मुल्क में स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को नौकरियों में मिलने वाले आरक्षण में कटौती और 1971 के सेनानियों के लिए रजाकार शब्द का इस्तेमाल । इसके बाद जो आग भड़की उसे संभालना शेख हसीना सरकार के लिए मुश्किल हो गया । आज से करीब 53 साल पहले बांग्लादेश का जन्म भी एक बड़े असंतोष, आक्रोश, आंदोलन के बाद हुआ था। भारतीय सेना ने अपने अदम्य शौर्य से बांग्लादेश को जन्म दिया था।
ये मुल्क किस रास्ते आगे बढ़ेगा… अभी कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे में बांग्लादेश के जन्म की कहानी को समझना जरूरी है। इसके लिए हमें कैलेंडर पीछे पलटते हुए साल 1971 पर ले जाना होगा। भारतीय फौज पूर्वी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर एक बड़ी जंग लड़ रही थी। इस जंग का मकसद न सीमाओं का विस्तार था न किसी पर वर्चस्व स्थापित करना न बदला लेना। भारतीय सेना के शूरवीर अपना खून बहाकर पड़ोसी मुल्क की आवाम को बेहिसाब अत्याचार से आजादी दिलाने के लिए पूरी ताकत और मजबूत इरादे के साथ आगे बढ़ रहे थे । इंडियन आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के जवान भारत के उन उसूलों, उन आदर्शों के लिए अपना खून बहा रहे थे जो यहां के जर्रे-जर्रे से हजारों वर्षों से निकल रहे था ।