Parkinson Disease Symptoms: पार्किंसंस डिजीज एक ब्रेन डिसऑर्डर है। इसमें पीड़ित को अनकंट्रोल एक्टिविटी जैसे कंपकंपी, कठोरता और बैलेंस में परेशानियां का सामना करना पड़ता है। इस बीमारी में मसल्स में मैसेज भेजने वाले न्यूरॉन्स कमजोर होने लगते हैं।
एक टाइम के बाद यह काफी गंभीर हो जाते हैं। यह बीमारी मसल्स के कंट्रोल, बैलेंस और एक्टिविटी को काफी ज्यादा असर करता है, जिसकी वजह से सोचने, समझने की ताकत एकदम खत्म हो जाती है।
शरीर में आती है कमी
60 साल की उम्र के बाद यह बीमारी अक्सर शुरू हो जाती है और इसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को यह बीमारी ज्यादा होती है। यह एक दिमाग से जुड़ी हुई बीमारी है। इस बीमारी में डोपामाइन नाम के एक केमिकल की कमी शरीर में होने लगती है, जिसकी वजह से शरीर धीरे-धीरे कम काम करने लगते हैं।
पार्किंसंस बीमारी के लक्षण
- मांसपेशियों में लगातार कंपन होना
- शरीर के अंगों को हिलाने में परेशानी होना
- शरीर में बैलेंस नहीं होना
- आंखों को झपकने में दिक्कत
- शरीर में ऐंठन होना
- मुंह से लार टपकना
- निगलने में परेशानी या आवाज धीमी होना
पार्किंसंस बीमारी के इलाज
गंभीर मामलों में डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (दिमाग के एक हिस्से में वाइब्रेशन देने का काम करता है) सर्जरी होती है। मेडिसिन की बात करें तो डोपामाइन, डोपामाइन जैसा असर करने वाली मेडिसिन, शरीर में डोपामाइन के टूटने को रोकने वाली दवाएं दी जा सकती हैं।
पार्किंसन की बीमारी कैसे होती है
ये जेनेटिक कारण, डोपामाइन की कमी, एनवायरमेंट का असर, बैलेंस डाइट नहीं लेना आदि।
कैसे पड़ा इस बीमारी का नाम पार्किंसंस
11 अप्रैल 1755 को डॉ. जेम्स पार्किंसन का जन्म हुआ था और 1817 में इन्होंने न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर के पहले मामले की खोज की थी और इसलिए इनकी रेसपेक्ट देने के लिए हर साल 1997 से इसे मनाने की शुरुआत हुई।
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