Diabetes Skin Symptoms: डायबिटीज न केवल आपके हार्ट, किडनी, लिवर, आंखों और नसों या पैरों पर असर करती है, बल्कि यह आपकी स्किन को भी प्रभावित करती है। अगर आप शुगर के मरीज हैं, तो आपको अपने ब्लड शुगर के लेवल और अपनी स्किन या नाखूनों में होने वाले किसी भी बदलाव पर नजर रखनी चाहिए।
डायबिटीज तब होती है जब शरीर ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल नहीं कर पाता है। डायबिटीज होने पर आपको पता है कि त्वचा से जुड़ी कई बीमारियां हो सकती हैं और शरीर में मौजूद बीमारियों को बढ़ावा दे सकती है। डायबिटीज में बढ़ा हुआ ब्लड ग्लूकोज, ब्लड सर्कुलेशन में बाधा करता है और ब्लड वेसल्स और नर्व को भरपूर पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। कम ब्लड फ्लो त्वचा को नुकसान करता है और कोलेजन को हानि पहुंचाता है, जिससे धीरे-धीरे त्वचा अपना लचीलापन खोने लगती है और स्किन सेल्स के कामकाज में बाधा डालती है।
शुगर में त्वचा की सामान्य समस्याएं, जानें इस Video में-
डायबिटीज होने पर होने वाली समस्याएं
सोरायसिस
सोरायसिस एक ऐसी बीमारी है, जो किसी पर भी असर कर सकती है, लेकिन टाइप 2 डायबिटीज वाले मरीजों में सोरायसिस घाव के बढ़ने का जोखिम बढ़ता है, यह बीमारी होने पर स्किन पर सफेद पपड़ी, खुजली के साथ लाल धब्बे दिखने लगते हैं।
ड्राई और खुजली वाली स्किन
ब्लड शुगर का बढ़ा हुआ लेवल शरीर में यूरिन बनाने के लिए स्किन सेल्स से लिक्विड पदार्थ निकालने की वजह बन सकती है, जिसके बाद त्वचा ड्राई और फटी हुई हो सकती है। ड्राई स्किन में खुजली से दरारें हो सकती हैं, जो इंफेक्शन को स्किन में आने देती है, जिससे सूजन, लालिमा और जलन होती है।
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फंगल संक्रमण
डायबिटीज मरीज फंगल संक्रमण के प्रति ज्यादा सेंसिटिव होते हैं, जो अक्सर शरीर के गर्म जगहों पर जैसे पैर की उंगलियों, कोहनी, बगल और मुंह के कोनों में लाल, खुजली, दाने और पपड़ी के रूप में मौजूद रहते हैं। डायबिटीज मरीजों में आम फंगल संक्रमणों में कैंडिडा अल्बिकन्स,दाद,एथलीट फुट,जॉक खुजली और बार-बार होने वाले वजाइनल इन्फेक्शन शामिल हैं।
डायबिटीज और त्वचा रोग, जानें इस Video में-
बैक्टीरियल इंफेक्शन
डायबिटीज मरीज बैक्टीरियल इंफेक्शन से भी पीड़ित होते हैं। इन लोगों में फोड़े, पलकों पर फुंसी का होना, नाखूनों के आसपास संक्रमण मिलते हैं।
नेक्रो बायोसिस लिपॉइडिका
नेक्रो बायोसिस लिपॉइडिका एक छोटे सख्त त्वचा के धक्कों के रूप में होता है, जो अगर ऐसे ही छोड़ दिया जाए,तो सूजी हुई कठोर त्वचा में बदल सकता है। ये पीले या लाल-भूरे रंग में पाया जाता है।
शुगर और फंगल संक्रमण, जानें कारण, रोकथाम और उपचार, इस Video के जरिए-
एकैन्थोसिस नाइग्रिकन्स
एकैन्थोसिस नाइग्रिकन्स अक्सर डायबिटीज से पहले की कंडीशन होती है,जिसमें बगल, कमर या गर्दन जैसे एरिया की स्किन ज्यादा काली, मोटी हो जाती है। यह शरीर के अन्य हिस्सों जैसे- कोहनी, हाथ और घुटनों पर असर करती है।
डिजिटल स्क्लेरोसिस
डिजिटल स्क्लेरोसिस में हाथों पर मोम जैसी स्किन सख्त हो जाती है और फिंगर भी सख्त होती हैं। स्किन सख्त होने पर मोटी होती है, जिससे उंगली का हिलना मुश्किल होता है। यह पैर की उंगलियों,घुटनों, टखनों और कोहनी के साथ-साथ शरीर के अलग-अलग हिस्सों में फैल सकती है।
बुलोसिस डायबिटिकोरम
बुलोसिस डायबिटीकोरम को डायबिटीज मरीजों को बुलै के रूप में भी जाना जाता है, जिसका मतलब है फिंगर, हाथों, पैर की उंगलियों, पैरों, टांगों के पिछले वाले भाग पर छाले निकल आते हैं। आमतौर पर ये छाले बिना दर्द के होते हैं और कई हफ्तों में सही भी हो जाते हैं।
त्वचा की देखभाल कैसे करें
डायबिटीज मरीजों को त्वचा, खासकर पैर की उंगलियों के बीच, ब्रेस्ट के नीचे, बगल और कमर के आसपास की स्किन को साफ और ड्राई रखना चाहिए। कुछ भी महसूस या बदलाव दिखने पर शरीर की जांच करवानी चाहिए। ज्यादा गर्म पानी से नहाने से बचें और अपनी त्वचा में नमी बनाए रखें। कोई भी चोट लगने पर तुरंत ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा भरपूर पानी पिएं और खुद को हाइड्रेट रखें। ज्यादा प्रॉब्लम होने पर अच्छे डॉक्टर से मिलें और सही इलाज करवाएं।
Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।