Rheumatoid Arthritis: अगर आपको भी सुबह उठते ही जोड़ों में अकड़न या दर्द होता है तो आपको सतर्क होने की जरूरत होती है। अगर हां, तो इसे बढ़ती उम्र का असर समझकर इग्नोर न करें, क्योंकि यह रूमेटाइड आर्थराइटिस जैसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। दरअसल, ये ऐसी बीमारियां होती हैंजो इम्यूनिटी से संबंधित होती हैं। ऑटोइम्यून बीमारियां जो धीरे-धीरे हमारे जॉइन्ट्स को नुकसान पहुंचाती हैं। आइए इस बीमारी के बारे में डॉक्टर से जानते हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
फरीदाबाद के एशियन अस्पताल के कंसल्टेंट रुमेटोलॉजिस्ट डॉ. देवेन्द्र बैरवा बताते हैं कि रूमेटाइड आर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून डिजीज है, जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम गलती से शरीर के किसी स्वस्थ जोड़ों पर हमला कर देती है। इससे जोड़ों में सूजन, दर्द, अकड़न और धीरे-धीरे हड्डियों में कमजोरी होने लगती है। यह बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में 2-3 गुना ज्यादा पाई जाती है। वहीं, आमतौर पर 30-50 वर्ष की उम्र में इसकी शुरुआत होती है।
इस बीमारी के लक्षण
रूमेटाइड आर्थराइटिस के शुरुआती लक्षण अक्सर हल्के होते हैं, लेकिन समय के साथ बढ़ जाते हैं। इसके संकेत ऐसे होते हैं:
- सुबह उठते ही जोड़ों में अकड़न महसूस करना।
- जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या होना।
- थकान, कमजोरी और हल्का बुखार आना।
- छोटे जोड़ों जैसे कि हाथ-पैर की उंगलियों में जकड़न होना।
- लंबे समय तक बैठने या आराम करने के बाद भी दर्द होना।

स्किन पर दिखने वाले संकेत
रूमेटाइड आर्थराइटिस में स्किन पर भी कई लक्षण दिखाई देते हैं जो कि बहुत गंभीर परिस्थिति होने पर दिखते हैं। इसमें हाथों या पैर के पंजों में घाव और रंग में बदलाव हो सकता है। कई बार रूमेटाइड अर्थराइटिस में बिना दर्द की गांठें भी बन जाती हैं, जो पीले रंग की होती है।
कब जाएं डॉक्टर के पास?
डॉक्टर बताते हैं कि अगर किसी को तीन हफ्ते से ज्यादा समय तक सुबह के समय जोड़ों में अकड़न और दर्द बना रहता है तो उसे इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह भी रूमेटाइड आर्थराइटिस का शुरुआती संकेत हो सकता है। दरअसल, 56 साल की महिला को यह बीमारी थी। उसके लक्षणों में खुजली और दाने दोनों होते हैं। जब उसकी जांच करवाई गई तो उसकी छाती, ऊपरी बांहों, गर्दन, पेट, बटक्स (buttocks) और जांघों की त्वचा पर लाल रंग के बड़े-बड़े धब्बे दिखाई दिएं। इसके साथ-साथ इन जगहों पर ऊपर से पपड़ी और गहरी दरारें भी दिखाई दीं।
बीमारी के कारण
- जेनेटिकल फैक्टर।
- इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी होने पर।
- धूम्रपान और प्रदूषण के कारण बीमारी।
- हार्मोनल इंबैलेंस।
- लंबे समय तक वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण की चपेट में रहना।
- महिलाओं में मेनोपॉज के बाद समस्या।
रूमेटाइड आर्थराइटिस के कितने चरण होते हैं?
इसके चार चरण होते हैं- पहले स्टेज में सुबह के समय जोड़ों में दर्द होना। दूसरे चरण में गतिविधि करने में दिक्कत होती है। इससे जोड़ों में सूजन और दर्द बढ़ जाता है। तीसरे चरण में जोड़ों का आकार बदल जाता है। इस बीमारी के चौथे चरण में सूजन बंद हो जाती है। इसके साथ तेज दर्द, सूजन, अकड़न और काम करने में दिक्कत होती है।
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इलाज और सतर्कता
डॉक्टर बताते हैं कि रूमेटाइड अर्थराइटिस का अभी कोई स्थायी इलाज नहीं है लेकिन सही समय पर उपचार से और दवाओं से बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है।
इसके लिए जरूरी दवाएं कौन सी हैं?
दवाएं- DMARDs (Disease Modifying Anti-Rheumatic Drugs) और NSAIDs (Non-Steroidal Anti-Inflammatory Drugs) दर्द और सूजन कम करती हैं।
फिजियोथेरेपी- इसकी मदद से करवाने के बाद जोड़ों में फ्लेक्सिबिलिटी बनी रहती है और मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद मिलती है।
सर्जरी- जब यह बीमारी गंभीर अवस्था में पहुंच जाती है, जब जॉइन्ट रिप्लेसमेंट की जरूरत पड़ती है, तो सर्जरी करवानी पड़ती है।
जीवनशैली में बदलाव- ये लाइफस्टाइल से संबंधित बीमारी है। इसकी रोकथाम के लिए संतुलित आहार, हल्का व्यायाम, योग और वजन नियंत्रण बहुत जरूरी होता है।
कैसे होगा बचाव?
डॉक्टर बीमारी को लेकर यह सलाह देते हैं कि धूम्रपान से बचना जरूरी है। अपनी डाइट में ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर चीजों को शामिल करें। रोजाना हल्की फिजिकल एक्टिविटी जरूर करें। इससे जोड़ों में सूजन और दर्द को काफी हद तक रोका जा सकता है।
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