Patanjali News: आज के समय में बाजार में कई हर्बल और मेडिकेटेड टूथपेस्ट मौजूद हैं, जो हमारे दांतों की सफाई के साथ-साथ सेंसिटिविटी से राहत दिलाने का दावा करते हैं। लेकिन इनमें मौजूद अधिक मात्रा में एब्रेसिव दांतों और मसूड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। बेलगावी के केएलई डेंटल कॉलेज के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक इन-विट्रो स्टडी में 3 प्रमुख ब्रांड-कोलगेट, दंतकांति और ग्लिस्टर की घिसाव करने की क्षमता की तुलना की गई थी। इस प्रयोग में 42 इंसानों के दांतों का उपयोग किया गया और एक स्पेशल ब्रशिंग मशीन से उन्हें 28 दिन तक ब्रश करने के लिए कहा गया था। आइए जानते हैं किस टूथपेस्ट का क्या असर पड़ा।
दांतों पर टूथपेस्ट का रिएक्शन जांचने की विधि
इस स्टडी में 2 अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल किया गया था। पहले चरण में सभी दांतों की सतह की मोटाई (Ra वैल्यू) को प्रोफिलोमीटर से मापा गया था, फिर इन दांतों को डिमिनरलाइजिंग सॉल्यूशन में डाल कर आर्टिफिशियल कैविटी बनाई गई। इसके बाद तीनों प्रकार के टूथपेस्ट से ब्रश करवाया गया। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान हर दांत पर 16,000 ब्रशिंग स्ट्रोक्स दिए गए थे। ब्रशिंग के बाद फिर से Ra वैल्यू मापी गई, जिससे घिसाव का स्तर तय किया गया था।
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ग्लिस्टर सबसे कम घिसाव वाला पेस्ट
स्टडी के रिजल्ट से पता चला कि तीनों टूथपेस्ट में से ग्लिस्टर सबसे कम घिसाव करने वाला टूथपेस्ट है, इसके बाद दंत कांति और कोलगेट था। कोलगेट और पतंजलि दंतकांति ने डिमिनरलाइज्ड दांतों की सतह पर सामान्य घिसाव किया जबकि ग्लिस्टर से दांतों पर कोई खास अंतर नहीं देखा गया।
टूथपेस्ट का सही चुनाव दांतों की सुरक्षा के लिए क्यों जरूरी
इस रिर्सच से एक बात साफ है कि टूथपेस्ट में मौजूद कणों का आकार और उनकी संख्या सीधे दांतों पर पड़ती है। अगर ब्रश के साथ हार्ड ब्रिसल्स और अत्यधिक एब्रेसिव युक्त पेस्ट का प्रयोग किया जाता है, तो यह दांतों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसलिए, दांतों की सेहत को ध्यान में रखते हुए हमें सही टूथपेस्ट का चुनाव करना चाहिए।
पतंजलि दंतकांति क्यों बेस्ट?
रिसर्च के अनुसार, पतंजलि को ऑर्गेनिक और आयुर्वेदिक दोनों माना गया है। दंतकांति हर उम्र के लोगों के लिए अच्छा विकल्प है। यह पेस्ट सभी के लिए असरदार भी है और हमें परिवार के अलग-अलग सदस्यों के लिए अलग-अलग पेस्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी। पतंजलि पेस्ट किफायती भी है और इसमें कोई हानिकारक रंगों का इस्तेमाल भी नहीं किया गया, जो दांतों या मसूड़ों को कमजोर बनाता है।
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