Kidney Diseases: हमारे शरीर में मौजूद सभी अंग हमारे लिए बेहद अहम होते हैं। किडनी इन्हीं अंगों में से एक है, जिसे हेल्दी रखना बहुत जरूरी है। हालांकि, कई कारणों से हमारी किडनी अलग-अलग परेशानियों से ग्रस्त हो जाती है। किडनी खून से विषैले पदार्थ को फिल्टर करके बॉडी को हेल्दी बनाए रखती है। हालांकि, अलग-अलग फैक्टर किडनी की बीमारी की वजह बन सकते हैं और किडनी के काम पर असर डाल सकते हैं। जल्दी पता लगाने और इलाज के लिए, सबसे पहले किडनी की बीमारियों और उनके कारणों को समझना चाहिए। इस पर ज्यादा जानकारी दे रही हैं। आइए जानते हैं कि द्वारकेश मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, गुजरात के गिनेस लेप्रोस्कोपी हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. बिनल शाह क्या कहते हैं?
क्रोनिक किडनी डिजीज
क्रोनिक किडनी डिजीज एक ऐसी स्थिति है, जिसमें टाइम के साथ किडनी की काम करने की ताकत धीरे-धीरे कम होने लगती है। हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, किडनी की सूजन और जेनेटिक फैक्टर इसके सामान्य कारण हैं। शुरुआती स्टेज में इसके लक्षण साफ तौर पर पता नहीं चल पाते हैं। लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती रहती है, तो थकान, पैरों और टखनों में सूजन, पेशाब में बदलाव और ज्यादा ब्लड प्रेशर हो सकता है। इलाज के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव, ब्लड प्रेशर और गंभीर मामलों में डायलिसिस पर ध्यान देना चाहिए।
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किडनी की पथरी
किडनी की पथरी खनिज और नमक का जमाव है, जो किडनी में बनता है। खाने से जुड़े फैक्टर और कुछ मेडिकल कंडीशन इनके बनने का कारण होती हैं। सबसे आम लक्षण है गंभीर दर्द होना, क्योंकि पथरी पेशाब के रास्ते से होकर गुजरती है। अन्य लक्षणों में पेशाब में खून, बार-बार पेशाब आना और मतली शामिल हैं। इसमें इलाज के तौर पर लिक्विड के सेवन को बढ़ाने के लिए और लाइफस्टाइल में बदलाव से लेकर एक्स्ट्राकोर्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी की मदद ली जाती है।
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन
यूटीआई तब होता है जब बैक्टीरिया पेशाब के रास्ते से आ जाते हैं, जिससे सूजन और संक्रमण होता है। यूटीआई किडनी और यूरिनरी ब्लैडर को प्रभावित कर सकता है। अगर इसके लक्षणों के बारे में बात की जाए तो इसमें सबसे पहले बार-बार और दर्दनाक पेशाब आना, पेशाब में खून आना, पेल्विक एरिया में दर्द और लगातार पेशाब करने की जरूरत महसूस होती है। यूटीआई के लिए एंटीबायोटिक मुख्य इलाज है।
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग
पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज एक जेनेटिक डिसऑर्डर है जो कि किडनी में सिस्ट के बढ़ने से होता है। इसमें किडनी बड़ी हो जाती है और टाइम के साथ काम करना कम कर देती है। यह बीमारी अक्सर जेनेटिक होती है। इसके नॉर्मल लक्षण हैं- पेट दर्द, हाई ब्लड प्रेशर, यूरिन में खून और बार-बार किडनी में संक्रमण शामिल हैं। इलाज के लिए ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखना और देखभाल जरूरी है। कुछ मामलों में, डायलिसिस की जरूरत पड़ सकती है।
एक्यूट किडनी इंजरी
किडनी की चोट, इंफेक्शन या नशीली दवाओं के कारण किडनी की कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है। इसके लक्षणों की बात करें, तो फ्लूइड रिटेंशन, थकान, भ्रम और मतली हो सकते हैं। इलाज में किडनी के काम में हेल्प करना और कॉम्प्लिकेशन को रोकना है। गंभीर मामलों में टेम्परेरी डायलिसिस की जरूरत हो सकती है।
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